प्रश्न।
भूगोल के वैज्ञानिक विकास पर मात्रात्मक क्रांति के प्रभाव की चर्चा कीजिये। ( 63rd BPSC, 2019)
मात्रात्मक क्रांति की सार्थकता एवं भूगोल के विकास में मात्रात्मक क्रांति के प्रभाव का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए। (UPSC 2022, 15 Marks)
उत्तर।
1960 से 1970 के दवरान , भूगोल में सांख्यिकी [माध्य, मानक विचलन, आदि], गणितीय विधियों [सिद्धांत, समीकरण, बीजगणित, आदि] और भौतिकी के नियम [गुरुत्वाकर्षण नियम , आदि] का परिचय और उपयोग को मात्रात्मक क्रांति कहते है।
भूगोल के वैज्ञानिक विकास पर मात्रात्मक क्रांति के प्रभाव निम्नलिखित हैं:
मात्रात्मक क्रांति ने भूगोल को विज्ञान के करीब ला दिया क्योंकि इसने भूगोल में गणितीय तकनीकी के उपयोग को पेश किए जो वस्तुनिष्ठता विकसित करते थे और यह भूगोल में अधिक वर्णनात्मक को कम करते है । इससे भूगोल पहले से ज्यादा अच्छी तरह से संरचित और सटीक हो गया।
मात्रात्मक क्रांति ने भूगोल की प्रत्येक शाखा में वैज्ञानिक मूल्यों को जोड़ा।
मात्रात्मक क्रांति और भू-आकृति विज्ञान:
- मात्रात्मक क्रांति ने सांख्यिकीय उपकरणों जैसे कि डिग्री, दर, आदि का उपयोग करके बेहतर भू-आकृति विकास और ढलान विकास को समझने में मदद की।
- इसने उन सिद्धांतों की आलोचना करने में भी मदद की जो भौतिकी के नियम का पालन नहीं करते हैं। उदाहरण के लिए, वेगनर के महाद्वीपीय बहाव सिद्धांत में जो बल थे वो वैज्ञानिक दृष्टि से सही नहीं थे इसके कारण आलोचना की गई थी। प्लेट विवर्तनिक सिद्धांत भी सटीक नहीं है क्योंकि यह भौतिक नियम का पालन नहीं करता है।
मात्रात्मक क्रांति और जलवायु विज्ञान:
- मात्रात्मक क्रांति ने जलवायु के चार का अधिक सटीक उपयोग करके जलवायु विज्ञान के विकास में मदद की। उदाहरण के लिए, मानक विचलन और माध्य विधियों का उपयोग किसी विशेष क्षेत्र की वर्षा और तापमान के वितरण को दर्शाता है।
मात्रात्मक क्रांति और कृषि भूगोल:
- कई कृषि सिद्धांत जैसे कि वीबर की फसल संयोजन विधि ने मानक विचलन पद्धति का उपयोग करके , पद्धति को वैज्ञानिक तरीकों से प्रस्तुत किया ।
मात्रात्मक क्रांति और आर्थिक भूगोल:
- मात्रात्मक क्रांति ने उद्योगों को स्थापित करने के लिए आदर्श स्थान का पता लगाने में मदद करता है । यह परिवहन लागत को कम करने और लाभ को अधिकतम करने के लिए परिवहन के लिए इष्टतम मार्ग बनाने में भी मदद करता है।
मात्रात्मक क्रांति और जनसंख्या भूगोल:
- मात्रात्मक क्रांति ने अधिक वैज्ञानिक तरीके से जनसंख्या वृद्धि और जनसांख्यिकी का विश्लेषण करने में मदद की। जनसांख्यिकीय संक्रमण सिद्धांत मात्रात्मक क्रांति के सबसे अच्छे उदाहरणों में से एक है।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि मात्रात्मक क्रांति का प्रभाव भूगोल के वैज्ञानिक विकास पर बहुआयामी है।
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