सवाल
भूगोल में मात्रात्मक तथा वयवहारत्मक क्रांतियों की सटीक तुलना कीजिये तथा विषय के विकास में उनकी भूमिका का परीक्षण कीजिये | ( 64th BPSC, 2019)
उत्तर
भूगोल में मात्रात्मक और व्यवहारिक क्रांति भूगोल के दो दृष्टिकोण हैं जो भूगोल की अलग-अलग व्याख्या करते हैं और दोनों ने मानव भूगोल के विकास में रचनात्मक भूमिका निभाई है।
भूगोल में मात्रात्मक और व्यवहारिक क्रांतियों के बीच कुछ तुलनाएँ निम्नलिखित हैं:
मात्रात्मक क्रांति ने भूगोल में गणितीय उपकरण जैसे मॉडल, सांख्यिकीय, वस्तुकरण या सामान्यीकरण पर जोर दिया, जबकि व्यवहारवाद मात्रात्मक क्रांति दृष्टिकोण को अस्वीकार किया क्योकि इन्होने माना कि पर्यावरण और मानव के बीच के सम्बन्ध को आप मॉडल, सांख्यिकीय से दर्शाना सही नहीं होगा क्योकि इनका सम्बन्ध बहुत ही जटिल है और यह सम्बन्ध मनुष्य और क्षेत्र के साथ बदलता रहता है | जैसे पर्यटक जंगल को सुंदरता के रूप में देखते है लेकिन कारोबारी लोग उसी जंगल को पैसे के रूप में देखते है और उसी जंगल को आदिवासी लोग अपने घर के तौर पर देखते है |
मात्रात्मक क्रांति ने मनुष्य को एक आर्थिक व्यक्ति माना; और माना की मनुष्य अपना निर्णय हमेसा आर्थिक लाभ के दृश्टिकोण से लेता है जबकि व्यवहारवाद ने माना कि मानव निर्णय केवल आर्थिक दृश्टिकोण से नहीं बल्कि निर्णय लेने में वह नैतिक और सामाजिक मूल्य, जरूरत, ज्ञान, पैसा, आदि का उपयोग करता है ।
मात्रात्मक क्रांति ने भूगोल को विज्ञान के करीब तथा भूगोल को सरल बनाने में योगदान दिया जबकि व्यवहारवाद ने भूगोल को एक अंतःविषय विषय (विज्ञान + समाजशास्त्र + मनोविज्ञान) के रूप में माना और भूगोल को एक जटिल विषय बना दिया है।
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