भूगर्भीय तरंगे( body wave) दो प्रकार की होती है जिसे "P "और "S" तरंग बोलते है | इन दोनों तरंगो का व्यवहार अलग अलग होता है और इन्ही अलग अलग व्यवहार के कारण हम पृथ्वी के आतंरिक सरंचना के बारे में पता चलता है | छाया क्षेत्र बनाना भी भूकम्पीय तरंग का परिणाम है |
भूकम्पीय तरंगे दूरस्थ स्थानों पर भूकम्पीय लेखी यंत्र पर अभिलिखित होती है| लेकिन भूकंपीय तरंग के अलग अलग व्यवहार के चलते कुछ ऐसे क्षेत्र होते है जहा भूकम्पीय तरंगे भूकम्पीय लेखी यंत्र पर अभिलिखित नहीं होती है, इन क्षेत्र को छाया क्षेत्र बोलते है |
Image Sc: NCERT
छाया क्षेत्र इस लिए बनते है क्योकि
- P तरग तो ठोस, द्रव, और गैस से गुजर सकता है लेकिन इसकी चाल अलग अलग माध्यम में अलग होती है जैसे की ठोस माध्यम में P तरंग की चाल संबसे ज्यादा होती है जब P तरग बाह्य क्रोड पे पहुँचती है. चुकी बाह्य क्रोड द्रव है इस कारण से तरंग की चाल और थोड़ा सा दिशा में परिवर्तन आता है इन कारण से P तरंग भूकंप अधिकेंद्र के १०५ डिग्री से १४५ डिग्री के बीच P तरंग छाया क्षेत्र बनाते है |
- हम जानते है की S तरंग केवल ठोस से गुजर सकता है जब S तरंग बाह्य क्रोड जो की द्रव अवस्था में है उससे गुजर नहीं पाती है और P तरंग से ज्यादा छाया क्षेत्र बनाता है और १०५ डिग्री के बाद S तरंग नहीं पहुँचती है |
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