प्रश्न।
बिहार के बाढ़ प्रभावित और सूखा प्रभावित क्षेत्रो की समश्याओ को काबू में रखने के लिए गतिरोधतात्मक और निदानात्मक उपायों का उल्लेख कीजिये। ( 63rd BPSC, 2019)
उत्तर।
जहां तक बिहार के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का सवाल है, भारत के 16.5% बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का बिहार से है और और यह लगभग. बिहार के कुल भौगोलिक क्षेत्र का ७३% है। इसी कारण बिहार देश के सबसे ज्यादा बाढ़ प्रभावित राज्य है। इतने ज्यादा क्षेत्र बाढ़ होने का मुख्य कारण बिहार का भौगोलिक स्थिति और मैदानी होना जिम्मेदार है। बिहार का सारा क्षेत्र लगभग समतल है और यह तराई क्षेत्र में स्थित है प्रमुख बाढ़ पैदा करने वाली नदियाँ महानंदा नदी, कोसी, बागमती नदी, गंडक, आदि नदी हिमालय से उतपन्न होती है और बहुत सारा पानी और गाद अपने साथ लाती हैं।
बाढ़ समस्याओं के निवारण के लिए गतिरोधतात्मक उपाय:
- सभी परिवारों के लिए पक्का घर उपलब्ध कराना।
- घर और अन्य बुनियादी ढांचे को ऊंचे स्थान पर बनाया जाना चाहिए
- नदी का तटबंध करना जिससे की पानी आसानी से बाहर नहीं जा सके।
बाढ़ की समस्या से निवारण के लिए निदानात्मक उपाय:
प्रत्येक बाढ़ उत्पन्न करने वाली नदी के लिए कंटूर नहर का निर्माण करना ।
- जैसा कि हम जानते हैं कि कोसी नदी हर साल नए चैनल द्वारा बहती है और कोसी नदी के 95% जल प्रवाह नए चैनल से होती है । हमें बिहार भर में कंटूर नहर सभी बाढ़ उत्पन्न करने वाले नदी पर बनाना पड़ेगा जो तकनिकी रूप से संभव है। इस तरह से कंटूर नहर अन्य देशो जैसे ब्रिटेन में बनाये जा चुके है। इससे हम नदी के दिशा को स्थिर कर सकेंगे। नहर से गाद निकालने के लिए एक कृत्रिम तंत्र भी स्थापित किया जाना चाहिए जिससे की गाद नहर को जाम न कर सके ।
वनरोपण:
- बिहार में बहुत कम वन आवरण (लगभग 7%) है। अपरदन गतिविधियों को कम करने के लिए बड़े पैमाने पर वनीकरण की आवश्यकता है जो नदी के तल के उथलेपन का कारण बनते हैं।
नदी की गाद निकालना :
- हिमालय नदी, नेपाल और हिमालयी क्षेत्रो से भारी मात्रा में गाद लाती है जो नदी के उथला बनाती है । बिहार में प्रवेश करते समय ही नदी से गाद निकालने के लिए कृत्रिम तंत्र स्थापित किया जाना चाहिए।
बिहार के सूखाग्रस्त क्षेत्र:
बिहार के दक्षिण और दक्षिण-पश्चिमी हिस्से सूखे से ग्रसित है हैं। कुछ सूखा प्रभावित जिले मुंगेर, नवादा, भोजपुर, औरंगाबाद और गया आदि मुख्य हैं।
सूखा प्रभावित क्षेत्रों की गतिरोधतात्मक के उपाय:
- खाद्यान्न और चारे का बफर स्टॉक बना के रखना और सूखे के समय इसका उपयोग करना ।
- पानी की अधिक खपत वाली फसलें नहीं उगाना चाहिए।
- पानी की बर्बादी कम से कम होनी चाहिए।
बिहार के सूखाग्रस्त क्षेत्रों के निदानात्मक उपाय:
- पारंपरिक वर्षा जल प्रणालियों के संग्रह का कायाकल्प।
- घरेलू स्तर पर वर्षा जल संचयन।
- वाटरशेड प्रबंधन को बढ़ावा देना।
- बड़े पैमाने पर वनीकरण।
- स्प्रिंकल और ड्रिप जैसी नवीनतम सिंचाई तकनीक का उपयोग।
- Drought-prone area development
- Dought as a natural disaster
- Drought Crisis
- Mention the preventive and curative measures to contain problems of flood-prone and drought-prone areas of Bihar (( 63rd BPSC, 2019) )
- Write short notes on Drought-prone areas of India.
- भारत के सूखा-ग्रस्त क्षेत्रों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- बिहार के बाढ़ प्रभावित और सूखा प्रभावित क्षेत्रो की समश्याओ को काबू में रखने के लिए गतिरोधतात्मक और निदानात्मक उपायों का उल्लेख कीजिये।
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