चेम्बरलेन और मोल्टन की ग्रहाणु परिकल्पना:
- चेम्बरलेन और मौलटन ने नेबुलर परिकल्पना को खारिज कर दिया और वर्ष 1900 अपना सिद्धांत दिया जो द्वैतवादी संकल्पना पर आधारित है और बाद में द्वैतारा सिद्धांत का आधार बना |
- चेम्बरलेन और मौलटन के अनुसार, आदिम सूर्य के पास एक भटकता हुआ तारा आया । भटकता हुआ तारा के आकर्षण के कारण आदिम सूर्य से असंख्य मात्रा में छोटे छोटे पदार्थ बाहर आ गए जिसे उन्होंने ग्रहाणु बोला | जब भटका हुआ तारा दूर चला जाता है, तो आदिम सूर्य से अलग हुआ पदार्थ सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाता रहता है। अलग हुआ पदार्थ ( ग्रहाणु ) धीरे-धीरे आपस में चिपकने से गृह तथा उपग्रह बनने लगे और पृथ्वी और अन्य ग्रहों की उत्पत्ति हुई।
चेम्बरलेन और मोल्टन की ग्रहाणु परिकल्पना की आलोचना :
- हमारे सौर मंडल में आठ ही गृह क्यों बने और कुछ ग्रहो के उपग्रह क्यों नहीं है , इन सब का जबाब यह सिद्धांत नहीं दे पता |
- हमारे सौर मण्डल के सारे गृह एक की दिशा में सूर्य के परिक्रमा क्यों करते है, इसका यह सिद्धांत जबाब नहीं देता |
- यह परिकल्पना यह भी नहीं बता पाता की कुछ गृह जैसे पृथ्वी , बुध, शुक्र ठोस अवस्था में है और कुछ गृह जैसे शनि गैस अवस्था में क्यों है |
- ब्रह्मांड में तारे इतने दूर हैं, सितारों के घुसपैठ की बहुत कम संभावनाएं हैं।
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