प्रश्न
प्लेट विवर्तनिकी का सटीक परीक्षण कीजिये तथा उसका भूपृष्ठ के प्रमुख भूरूपो के उत्क्रांति से समन्ध स्पष्ट कीजिये | ( BPSC, 2019)
उत्तर
प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत 1967 में मैकेंज़ी, पार्कर और मॉर्गन द्वारा दिया गया था | यह एक आधुनिक सिद्धांत है जो महाद्वीपों और महासागरों की वर्तमान स्थिति की व्याख्या करता है और इसके आलावा यह प्रमुख भू-आकृतियों जैसे पहाड़ों, उभाड़ , पठार, ज्वालामुखीय भू-आकृतियों आदि के विकास की भी व्याख्या करता है।
सिद्धांत के अनुसार, भू पर्पटी कई बड़ी और छोटी प्लेटों में विभाजित है और यह क्षैतिज और लंबवत दोनों दिशाओ में एस्थेनोस्फीयर( Asthenosphere) के ऊपर तैर रही है।
प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत की आलोचनात्मक परीक्षण:
संवहन धाराओं के समन्ध में :
सिद्धांत के अनुसार, मैंटल से उत्पन्न संवहन धारा , प्लेटो को गति प्रदान करती है । सिद्धांत यह स्पष्ट नहीं करता कि मेंटल में संवहन धारा कैसे चल रही है। भौतिकी के नियम के अनुसार, चलती प्लेटों और एस्थेनोस्फीयर के बीच घर्षण होना चाहिए। सिद्धांत इन( घर्षण) तथ्यों की व्याख्या नहीं करता है और प्लेट और एस्थेनोस्फीयर पर संतुलित कैसे है इसकी भी व्याख्या नहीं करता है।
हम जानते हैं कि मेंटल के दो भाग होते हैं पहला एस्थेनोस्फीयर (अर्ध तरल रूप में) और दूसरा मेंटल ठोस रूप में है । एस्थेनोस्फीयर लगभग 180 किमी की एक बहुत पतली परत है जिसपे प्लेट तैरती है । हम यह भी जानते हैं कि लिथोस्फेरिक प्लेट की मोटाई 15 से 200 किमी के बीच होती है। इतनी पतली एस्थेनोस्फीयर, ठोस अवस्थीय प्लेट को कैसे बैलेंस कर पाता है, सिद्धांत इस तथ्य को नहीं बताता है |
पर्वतीय विकास के संबंध में:
- वलित पर्वतों के मामले में;
- सिद्धांत के अनुसार, वलित पर्वतों की उत्पत्ति दो प्लेटों की अभिसरण सीमाओं ( convergence boundary) पर होती है; यह सच भी है। उदाहरण के लिए, हिमालय, एंडीज, रॉकीज पर्वत आदि अभिसरण सीमा पर विकसित हुए हैं।
- यह सिद्धांत ब्लॉकों और ज्वालामुखी पर्वतों के निर्माण को समझने में भी मदद करता है।
प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत पर्वतो के निर्माण की प्रकिया को समझाने में कड़ा साबित होता है | लेकिन सिद्धांत यह नहीं बताया कि इतने ऊंचे पर्वत कैसे एस्थेनोस्फीयर पर संतुलित है|
भूकंप और भूकंपीय गतिविधियाँ :
- प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत भूकंपीय और भूकंप गतिविधियों के बारे में आंशिक जानकारी प्रदान करता हैं। सिद्धांत के अनुसार, भूकंप का केंद्र आमतौर पर प्लेट की सीमा रेखा में पाया जाता है;
- लेकिन वास्तव में, भूकंप के केंद्र की भविष्यवाणी करना अनिश्चित है; यह पृथ्वी की सतह पर कहीं भी हो सकता है।
ज्वालामुखी विस्फोट के संबंध में:
- प्लेट टेक्टोनिक सिद्धांत मध्य-महासागर रिज और प्रशांत रिंग ऑफ फायर में ज्वालामुखी गतिविधियों की सही व्याख्या करने में सक्षम है। लेकिन यह ज्वालामुखियों के हॉट स्पॉट की घटना की व्याख्या करने में सक्षम नहीं है। उदाहरण के लिए, भारतीय प्लेट आंदोलन के दौरान दक्कन ट्रैप के निर्माण की क्रियाविधि स्पष्ट नहीं है।
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