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वायुराशियाँ तथा वाताग्र की संकल्पनाएँ स्पष्ट कीजिये | चक्रवात की निर्मित में वाताग्र का योगदान कितने पद तक होता है, स्पष्ट कीजिये |

 प्रश्न 

वायुराशियाँ तथा वाताग्र की संकल्पनाएँ स्पष्ट कीजिये | चक्रवात की निर्मित में वाताग्र का योगदान कितने पद तक होता है, स्पष्ट कीजिये | ( BPSC, 2019)

उत्तर 

वायुराशियाँ हवा के एक बड़े भाग को बोलते है जिसमे भौतिक चर जैसे तापमान, नमी, दाब सब जगह क्षैतिक रूप में लगभग समान होती है । 

पड़ोसी वायुराशियाँ के विभिन्न घनत्वों के कारण या विभिन्न भौतिक विशेषताएं के कारण वे एक दूसरे के साथ आसानी से नहीं मिलते हैं। इसलिए, दो वायुराशियाँ के अभिसरण क्षेत्र या सीमा क्षेत्र में कुछ विशेष मौसम की घटनाएं होती हैं और जिन्हें वाताग्र कहा जाता है।

वायुराशियाँ तथा वाताग्र की संकल्पनाएँ:

वायुराशियाँ की अवधारणा पर चर्चा करने से पहले। हमें पहले वायुराशियाँ के प्रकारों को समझने की आवश्यकता है।

तापमान के आधार पर वायुराशियाँ  दो प्रकार के होते हैं:

ठंडी वायुराशियाँ:

जब वायुराशि की तापमान उसके निचले धरातल के तापमान से ठंडा होता है तो उसे ठंडी वायुराशि कहते है । ठंडी वायुराशियाँअपेक्षाकृत अस्थिर होता है क्योंकि भूमि गर्म होती है और गर्म होने के बाद हवा ऊपर उठती है और अस्थिरता पैदा करती है। ठंडी वायुराशियाँ चक्रवातों के निर्माण में योगदान करती हैं।

गर्म वायुराशियाँ:

जब वायुराशि की तापमान उसके निचले धरातल के तापमान से ज्यादा गर्म होता है, तो उसे वायुराशियाँ कहा जाता है। यह वातावरण में स्थिरता और एंटी-साइक्लोनिक वायुमंडलीय स्थितियों का निर्माण करता है।


वायुराशियाँ तथा वाताग्र की संकल्पनाएँ स्पष्ट कीजिये


नमी के आधार पर वायुराशियाँ दो प्रकार की होती हैं:

  • महाद्वीपीय वायुराशियाँ
  • महासागरीय वायुराशियाँ

महासागरीय वायुराशियाँ नम होती हैं और वर्षा का कारण बनती हैं।

भारत में मानसूनी वर्षा महासागरीय वायुराशियों के भारतीय उपमहाद्वीपों की ओर खिसकने का परिणाम होता है।

दो अलग-अलग वायुराशियों के बीच परस्पर क्रिया अक्सर वातावरण में अस्थिरता पैदा करती है और खराब मौसम का कारण बनती है।

चक्रवात की निर्मित में वाताग्र का योगदान :

  • चक्रवात हिंसक तूफान को बोलते है जो निम्न दबाव वाले क्षेत्रों के  चारो ओर हवाएं चक्रीय गति से घूमते है जो खराब मौसम का कारण बनते है ।
  • ध्रुवीय वाताग्र सिद्धांत समशीतोष्ण चक्रवातों या बहिरुष्ट कटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति और विकास की व्याख्या करता है।
  • सिद्धांत के अनुसार, ध्रुवीय वाताग्र उष्ण कटिबंध से गर्म आर्द्र वायुराशियों और ध्रुवों से शुष्क ठंडी वायुराशियों की मिलन रेखा पर बनता है।
  • ध्रुवीय वाताग्र पर निम्न वायुदाब बनने लगता है जहां आर्द्र वायुराशियोंऔर शुष्क ठंडी वायुराशियों परस्पर मिलते  हैं।
  • ठंडी वायुराशियों की सघनता और भारी प्रकृति के कारण गर्म वायुराशियों को ठंडी वायुराशियों द्वारा ऊपर उठा दिया जाता है।
  • नतीजतन, बहुत ही कम निम्न वायु दाब वाला क्षेत्र बन जाता है और आसपास की हवा इन  निम्न वायु दाब जगहों पर भरने के लिए दौड़ती है, और हवाएं चक्रीय गति करते हुए बहिरुष्ट कटिबंधीय या समशीतोष्ण चक्रवात बनता है।
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