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जीन और जेफ्रीस की ज्वारीय परिकल्पना | पृथ्वी की उत्पत्ति एवं संरचना

प्रश्न। 

पृथ्वी की उत्पत्ति में जीन्स और जेफ्रीज़ की ज्वारीय परिकल्पना की व्याख्या कीजिए ( UPPSC / UPPCS, 2018, 15 Marks)

पृथ्वी की उत्पत्ति से सम्बन्धित ज्वारीय परिकल्पना की समीक्षा कीजिये। ( UPPSC 1995)

उत्तर। 

पृथ्वी सहित हमारे सौर मंडल की उत्पत्ति और विकास की व्याख्या करने  के लिए हमारे पास चार प्रमुख प्रारंभिक परिकल्पनाएँ हैं जो हैं -

  • नेबुलर परिकल्पना(1796)
  • चेम्बरलेन और मौलटन की ग्रहीय परिकल्पना (1905)
  • ज्वारीय परिकल्पना(1919)
  • बाइनरी स्टार थ्योरी (1950)

ज्वारीय परिकल्पना  चार प्रमुख प्रारंभिक परिकल्पनाएँ में से एक है और यह मौलटन की ग्रहीय परिकल्पना का विस्तार है। ज्वारीय परिकल्पना जेम्स जीन्स और हेरोल्ड जेफ्रीस द्वारा वर्ष 1919 में प्रतिपादित की गई थी। जीन्स और जेफरी, दोनों ब्रिटिश विद्वान थे।

जीन और जेफ्रीस की ज्वारीय परिकल्पना निम्न प्रकार है -

Jeans and Jeffreys tidal hypothesis
Jeans and Jeffreys tidal hypothesis 

जीन्स जेफरी ज्वारीय परिकल्पना के अनुसार:

  • हमारे सौर मंडल का निर्माण सूर्य और एक घुसपैठ करने वाले तारे से हुआ है। हमारे सौर मंडल का निर्माण इन दो तारों के बीच गुरुत्वाकर्षण खिंचाव का परिणाम है।
  • आदिम सूर्य( Primitive Sun): सूर्य के प्रारंभिक चरण को आदिम सूर्य कहा जाता है और यह स्थिर था और अपनी धुरी पर घूमता था।
  • घुसपैठ तारा( Intruding Star): यह आदिम सूर्य की तुलना में आकार में बहुत बड़ा था। यह तारा घूम रहा था और आदिम सूर्य के निकट आ गया।
  • जब घुसपैठी तारा आदिम सूर्य के पास से गुजरा , तो आदिम सूर्य से गर्म गैसीय द्रव्यमान का ज्वार उठ गया।
  • जब घुसपैठ करने वाला तारा पूरी यात्रा की दूरी पर सूर्य के सबसे निकट था, तो सिगार के आकार के गर्म गैसीय कण आदिम सूर्य से अलग हो गए। सिगार के आकार को  "फिलामेंट" जीन्स और जेफरी द्वारा कहा गया।
  • फिलामेंट के मध्य भाग उभारदार थे और उनमें गैसीय पदार्थ अधिक थे, इसलिए बृहस्पति और शनि जैसे बड़े ग्रहों का निर्माण फिलामेंट के मध्य भाग से हुआ।
  • फिलामेंट के दोनों ओर छोटे-छोटे ग्रह बनाए गए क्योकि वहां पर गैसीय पदार्थ मध्य भाग की अपेक्षा कम थे ।
  • बुध और शुक्र जैसे छोटे ग्रहों पर कोई प्राकृतिक उपग्रह नहीं बना , क्योंकि छोटे ग्रह बहुत तेजी से ठंडे हो गए थे ।
  • पृथ्वी ग्रह के मध्यम आकार के कारण  केवल एक ही प्राकृतिक उपग्रह का निर्माण हुआ।
  • बृहस्पति और शनि जैसे बड़े ग्रहों के कई उपग्रह हैं क्योंकि वे आकार में बड़े हैं और ठंडा होने में अधिक समय लिया।

जीन्स जेफरी ज्वारीय परिकल्पना के परिकल्पना के सहायक साक्ष्य:

निम्नलिखित सबूत हैं जो परिकल्पना का समर्थन करते हैं:

  • यह ग्रहों के क्रम और आकार को सही ढंग से समझाने में सक्षम है। जैसा कि परिकल्पना ने सही ढंग से बताया है कि फिलामेंट के बीच में बड़े ग्रह है और फिलामेंट के बीच से किनारे जाने पर ग्रह का आकार कम हो जाता है।
  • यह प्राकृतिक उपग्रहों की संख्या की सही व्याख्या करने में सक्षम है। जैसा कि ज्वारीय परिकल्पना ने सही ढंग से बताया कि छोटे ग्रहों में या तो कोई उपग्रह नहीं होता है या बहुत कम उपग्रह होते हैं क्योंकि वे बहुत तेजी से ठंडा हो गए थे और बड़े ग्रहों के कई उपग्रह हैं क्योंकि उन्हें ठंडा होने में अधिक समय लगा। 
  • हमारे सौरमंडल के सभी ग्रह सूर्य के चारों एक ही दिशा (वामावर्त ) में परिक्रमा  कर रहे हैं इसी दिशा में फिलामेंट भी परिकर्मा करता था।
  • शुक्र और यूरेनस को छोड़कर सभी गृह अपनी धुरी पर एक ही दिशा( पश्चिम से पूर्व ) में घूम रहे हैं।


परिकल्पना का मूल्यांकन या आलोचना:

हालांकि परिकल्पना सरल और तार्किक रूप से सही है, लेकिन इसकी प्रमुख आलोचना है:

  • हमारे सौर मंडल के ग्रह भारी परमाणु सामग्री से बने हुए है लेकिन परिकल्पना के अनुसार ग्रहों की सामग्री सूर्य से आयी है, लेकिन परकल्पना यह नहीं बताता की गृह के भारी परमाणु वाले सामग्री कहा से आई।  परिकल्पना के अनुसार सारे ग्रह हीलियम और हाइड्रोजन जैसे पदार्थ से बना होना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं है।
  • ब्रह्मांड में तारे इतने दूर हैं कि सितारों के घुसपैठ की संभावना बहुत कम है।
  • परिकल्पना ने घुसपैठ करने वाले तारे के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी है जैसे घुसपैठी तारा के स्रोत और गंतव्य के बारे में नहीं बताया।

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