प्रश्न।
मूल्य सृजन में परिवार, समाज , और शिक्षण संस्थाओ की भूमिका की विवेचना कीजिये। (UPPSC, 2020)
उत्तर
मूल्य वे विश्वास हैं जो व्यक्ति के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं और अपने मूल्यों से समझौता नहीं करना चाहता है, और मूल्यों के आधार पर हम दैनिक जीवन के निर्णय लेते हैं।
मूल्य सिद्धांत, विश्वास या आदर्श हैं जो मानव व्यवहार और निर्णय लेने का मार्गदर्शन करते हैं। मूल्यों के कुछ उदाहरण ईमानदारी, करुणा, न्याय, बड़ों के प्रति सम्मान, समर्पण, गरिमा आदि हैं। ये मूल्य मानव व्यवहार को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। व्यक्तियों को ये मूल्य परिवार, समाज और शैक्षणिक संस्थानों से मिलते हैं, इसलिए इनमें से प्रत्येक संस्थान मूल्यों को मन में बैठाने में एक अनूठी भूमिका निभाता है।
मूल्य वे नहीं हैं जो हमें जन्म से विरासत में मिलते हैं, ये हम बाहरी वातावरण जैसे परिवार, समाज और शैक्षणिक संस्थानों द्वारा प्राप्त करते हैं।
मूल्यों को विकसित करने में परिवार की भूमिका:
माता, पिता, दादी और दादा परिवार के चार मुख्य सदस्य होते है और बच्चे इन्ही चारो से बचपन में ज्यादातर मूल्य अर्जित करते हैं।- लिंग संवेदनशीलता: पिताजी माताजी से जैसा व्यवहार करते है वैसे ही बच्चा भी महिलाओ से व्यवहार करता है। यदि परिवार में लड़का लड़की में भेद करता है तो उसमे रहने वाले बच्चे में भी वही मूल्य आ जाता है।
- बड़ों का सम्मान: यदि परिवार में बड़ो का सम्मान होता है तो बच्चे भी बड़ो को सम्मान देने वाला बनता है।
- लोकतांत्रिक मूल्य या सत्तावादी मूल्य: परिवार के सदस्य दैनिक जीवन के निर्णय में यदि लोकतांत्रिक मूल्य का सहारा लेता है तो बच्चे भी लोकतांत्रिक मूल्य वाले होते है।
इसी प्रकार हमें परिवार अन्य निम्नलिखित मूल्य को सृजन करता है :
- गैर-भेदभावपूर्ण
- करुणा की भावना
- अंधविश्वास या वैज्ञानिक मूल्य:
- रूढ़िवादी सोच या अभिनव सोच
निम्नलिखित मूल्य हैं जो हम समाज से विकसित करते हैं:
भारतीय समाज सामूहिकता, सहिष्णुता और सामाजिक सद्भाव के सिद्धांतों पर आधारित है। समाज सामूहिकता, सामाजिक सद्भाव, सहयोग, आपसी सम्मान, निस्वार्थता और कमजोर वर्ग के प्रति करुणा के मूल्यों को विकसित करता है। मंदिर, धार्मिक केंद्र और सामुदायिक केंद्र जैसी सामाजिक संस्थाएं व्यक्तियों में इन मूल्यों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
हमारे विश्वास और मूल्य हमारी संस्कृति के आधार पर विकसित होते हैं और हमारी संस्कृति समाज से उभर के आती है। उदाहरण के लिए,
- एक व्यावसायिक समुदाय का व्यक्ति धन प्रबंधन को अधिक महत्व देता है और उसके पास अन्य लोगों की तुलना में धन का अधिक प्रभावी ढंग से प्रबंधन करने का मूल्य होता है।
- एक गरीब व्यक्ति भोजन बर्बाद नहीं करता है क्योंकि वह भोजन के मूल्य को जानता है।
निम्नलिखित अन्य मूल्य हैं जो हम समाज से विकसित करते हैं:
- भाईचारा,
- न्याय या निष्पक्षता
- कोई भेदभाव नहीं
- स्वीकार
- मान्यता
- देखभाल करने वाला
मूल्यों को विकसित करने में शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका:
शिक्षा हमें एक ऐसा मंच प्रदान करती है जहां हम दार्शनिकों को सीखकर अपने सीखे हुए मूल्यों की वैश्विक मूल्यों से तुलना कर सकते हैं और तार्किक तर्क से अपने सृजित मूल्यों में भी बदलाव करते है तथा नए मूल्यों को भी सृजित करते है
स्कूल और कॉलेज जैसे शिक्षा संस्थान भारत में ज्ञान, कौशल और अन्य नैतिक मूल्यों को प्रदान करने के लिए जिम्मेदार हैं। भारत में शैक्षिक संस्थान ईमानदारी, कड़ी मेहनत, समर्पण, अनुशासन, अधिकार के प्रति सम्मान, आज्ञाकारिता, सहिष्णुता, अनुपालन, सामाजिक जागरूकता और दूसरों के प्रति सहानुभूति के मूल्यों को सिखाते हैं।
उदाहरण के लिए,
- समाज हमें जातिगत भेदभाव मूल्य प्रदान करता है, लेकिन जब हम शिक्षा प्राप्त करते हैं, तो तार्किक कारण विकसित होता है और हम पाते हैं कि जाति भेदभाव एक मूल्य नहीं है और हमें मनुष्यों के साथ समान व्यवहार करना चाहिए।
- राष्ट्र निर्माण के लिए व्यक्ति और समाज के भीतर सामाजिक समरसता और शांति होनी चाहिए।
- टीम वर्क मूल्य हम शिक्षा से प्राप्त करते हैं।
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