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मानव-वातावरण संबंध के अध्ययन में नियतिवाद की संकल्पना का एक आलोचनात्मक विवरण प्रस्तुत कीजिये।

 प्रश्न। 

मानव-वातावरण संबंध के अध्ययन में नियतिवाद की संकल्पना का एक आलोचनात्मक विवरण प्रस्तुत कीजिये। (UPPSC 2020)

निश्चयवाद एवं संभववाद की अवधारणाओं की समीक्षा कीजिए। ( 60-62nd BPSC geography)

उत्तर। 

मानव की दृष्टि से मनुष्य को छोड़कर बाकी सब कुछ वातावरण कहलाता है। इसमें भौतिक वातावरण जैसे जैविक और अजैविक और सांस्कृतिक वातावरण जैसे भवन, सड़कें आदि शामिल हैं।

मानव-वातावरण संबंध एक बहस का विषय रहा है और इसका कई दृष्टिकोणों से अध्ययन किया गया है। नियतिवाद या पर्यावरणीय नियतत्ववाद मानव भूगोल के शुरुआती दृष्टिकोणों में से एक है जो मनुष्य और पर्यावरण के बीच संबंधों की व्याख्या करता है और यह 19 वीं और 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में अधिक प्रमुख था, लेकिन इसका उत्पत्ति ग्रीक और अरबी विद्वानों से लगाया जा सकता है।

मानव-वातावरण संबंध के अध्ययन में नियतत्ववाद की अवधारणाएँ निम्नलिखित हैं:

नियतिवाद के अनुसार, आसपास का वातावरण मुख्य रूप से भौतिक वातावरण जैसे जलवायु, भू-आकृतियाँ मानव व्यवहार के निर्णायक कारक हैं। वातावरण मनुष्य के व्यवहार को आकार देता है, मानव को निर्देशित तथा नियंत्रित करता है। मानव व्यवहार और सामाजिक विकास में अंतर उनके आसपास के वातावरण में अंतर के कारण होता है।

उदाहरण के लिए,

  • कठोर जलवायु और गर्म जलवायु के कारण समशीतोष्ण क्षेत्रों की तुलना में उष्ण कटिबंध में क्षेत्र कम विकसित होते हैं और गर्म जलवायु के कारण उष्ण कटिबंध में लोगों का जीवित रहना और विकसित होना कठिन हो जाता है।
  • बर्फ़बारी वाले क्षेत्र में घरो के छत ढलान वाले होते है तथा बाढ़ वाले क्षेत्र में घर उच्चे स्थान पर बनाये जाते है। 
  • अलग-थलग या द्वीप क्षेत्र में रहने वाले लोगों का सामाजिक और सांस्कृतिक में एकरूपता होती है। 



नियतत्ववाद की आलोचना:

  • नियतिवाद ने चीजों को गलत तरीके से सामान्यीकृत किया है लेकिन यह सच नहीं है क्योंकि एक ही स्थान और एक ही जलवायु में दो जातीय/जाति समूह हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, उत्तर-पूर्वी राज्यों में आम तौर पर समान भौतिक वातावरण होते हैं लेकिन कई जातीय समूह होते हैं।
  • मानव और वातावरण संबंध एकतरफा संबंध नहीं है और यह केवल वातावरण द्वारा नियंत्रित नहीं होता है बल्कि यह द्विदिश संबंध है और मानव और वातावरण एक दूसरे को प्रभावित करते है। उदाहरण के लिए, मनुष्य मानवीय गतिविधियों जैसे नदी को आपस में जोड़ने, बांध निर्माण, तकनीकी विकास, वनों की कटाई, वनीकरण आदि द्वारा भौतिक वातावरण को बदलते हैं।
  • पर्यावरण न केवल मानव व्यवहार का निर्णायक कारक है बल्कि यह कई अन्य कारकों जैसे प्रौद्योगिकी, ज्ञान, जनसांख्यिकीय लाभांश से प्रभावित होता है। उदाहरण के लिए, उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में स्थित होने के बावजूद सिंगापुर एक विकसित देश है।
  • पर्यावरण मानवीय गतिविधियों को सीमित नहीं करता बल्कि कई अवसर प्रदान करता है।

सुश्री एलेन चर्चिल सेम्पल ने नियतत्ववाद से नस्लवादी अवधारणाओं को सामने लाया जैसे:

  • उष्ण कटिबंधीय लोग आलसी होते हैं और समशीतोष्ण के लोग संयमी और बोल्ड होते हैं।
  • भूमध्यसागरीय क्षेत्रों में रहने वाले लोग उत्साही, खुश और सरल होते हैं।
  • पहाड़ में रहने वाले वे लोग बहादुर, साहसी, सरल और ईमानदार होते हैं।
  • मैदानी इलाकों के लोग उदार, नवोन्मेषी, प्रगतिशील होते हैं और वे नए विचारों को जल्दी से अपना लेते हैं। वे चतुर होते हैं और वे दूसरों को मूर्ख बनाते हैं लेकिन कायर भी होते है। 


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