प्रश्न।
हरित क्रांति से आप क्या समझते हैं ? भारत में हरित क्रांति के गुण दोषो की विवेचना कीजिये। ( UPPSC, 2020, 15 Marks)
भारत में हरित क्रांति के परिणामों की विवेचना कीजिए । ( 65th BPSC Geography)
भारत में "हरित क्रांति" के प्रभावों का मूल्यांकन कीजिए। ( 60-62nd BPSC Geography)
उत्तर।
भारत में 1960-70 के दशक के दौरान, उच्च उपज वाले बीज, उर्वरक का उपयोग करके और सिंचाई में सुधार करके, विभिन्न फसलों की उपज मुख्य रूप से गेहूं और धान को बढ़ाया गया था, इस घटना को हरित क्रांति कहा जाता है।
हरित क्रांति के गुण:
- हरित क्रांति ने उपज बढ़ाकर लाखो लोगों भूख से जान बचाई।
- हरित क्रांति से किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ।
- हरित क्रांति से भारत खाद्यान्न आयात और दूसरे देश पर निर्भरता के जोखिम से दूर किया।
- भारत कुछ खाद्यान्न उत्पादन जैसे गेहूं और चावल में आत्मनिर्भर हो गया।
हरित क्रांति के दोष:
पारिस्थितिक परिणाम- रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों और कीटनाशकों के गहन उपयोग से मिट्टी और जल प्रदूषित हो रहे है और मिट्टी की उत्पादकता में कमी आयी है।
- वर्षा छाया क्षेत्र में धान और गेहूं की खेती में सिंचाई के गहन उपयोग से भूजल का अत्यधिक दोहन होता है; नतीजतन, यह भूजल स्तर को कम करता है और मरुस्थलीकरण को बढ़ाता है।
- मोनोक्रॉपिंग करने से मिट्टी की गुणवत्ता में कमी आयी है ।
सामाजिक-आर्थिक परिणाम
- हरित क्रांति से खेती की लागत बढ़ जाती है, और फसल खराब तथा बाजार की अनिश्चितता से किसान को आर्थिक तनाव बढ़ जाता है।
- प्रारंभ में, हरित क्रांति पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु जैसे सिंचित क्षेत्रों में सीमित थी; और ये क्षेत्र हरित क्रांति से लाभान्वित हुए और अन्य क्षेत्रों हरित क्रांति से लाभान्वित नहीं हुए ; नतीजतन, क्षेत्रीय असमानता बढ़ गयी है ।
- बड़े किसान हरित क्रांति से सबसे ज्यादा लाभान्वित हुए और गरीब किसान लाभ से वंचित रह गए ; परिणामस्वरूप, यह समाज में असमानता को और बढ़ा दिया ।
- ट्रैक्टर, कीटनाशक जैसी तकनीक के उच्च उपयोग के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में श्रम की मांग की कमी हो गयी ; नतीजतन, ग्रामीण से शहरी प्रवास में वृद्धि हुई ।
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