विषयसूची:
- ज्वालामुखी क्या है?
- ज्वालामुखी के प्रकार
- ज्वालामुखीय भू-आकृतियाँ
- विश्व में ज्वालामुखी का वितरण
- ज्वालामुखियों के नकारात्मक प्रभाव
- ज्वालामुखियों के सकारात्मक प्रभाव
ज्वालामुखी क्या है?
- ज्वालामुखी पृथ्वी के सतह पर एक मुख होता है जहां से गर्म गैस, राख, पिघला हुआ लावा जमीन के अंदर एस्थेनोस्फीयर से आता है।
ज्वालामुखियों के प्रकार:
ज्वालामुखी के प्रकार निम्नलिखित हैं:
- ढाल (shield) ज्वालामुखी
- मिश्रित ( Composite) ज्वालामुखी
- काल्डेरा ज्वालामुखी
- बाढ़ बेसाल्ट(Flood basalt) ज्वालामुखी
- मध्य महासागर रिज ज्वालामुखी।
- सक्रिय ज्वालामुखी: हाल ही में लावा का निकलना।
ढाल ज्वालामुखी:
- यह पृथ्वी पर सभी ज्वालामुखियों में सबसे बड़ा है। उदाहरण के लिए, हवाइयन ज्वालामुखी।
- यह बेसाल्ट लावा से बना होता है और फटने पर बहुत तेजी से फैलता है।
- अगर पानी वेंट में चला जाता है तो यह विस्फोटक हो जाता है अन्यथा कम विस्फोटक होता है।
- शीर्ष वेंट पर, यह एक सिंडर कोन की तरह विकसित होता है।
काल्डेरा (कुंड) ज्वालामुखी :
- यह सबसे विस्फोटक ज्वालामुखी है। यह एक लंबा ढांचा बनाने के बजाय ढह जाता है।
- यह गर्त ( depression) को काल्डेरा कहते हैं।
बाढ़ बेसाल्ट:
- जब ज्वालामुखी से निकले लावा बहुत ही तरल होता है और बड़ी दूरियों तक फैल जाता है उसे बाढ़ बेसाल्ट ज्वालामुखी कहते है।
- उदाहरण के लिए, भारत में डेक्कन ट्रैप।
मिश्रित ज्वालामुखी:
- ज्वालामुखी उदगार से निकले पदार्थ जब मिश्रित होकर कई परतों में जम जाती है तो उसे मिश्रित ज्वालामुखी कहा जाता है।
- यह बेसाल्ट की तुलना में कम विस्फोटक और ज्यादा चिपचिपा और गाढ़ा लावा होता है।
ज्वालामुखी स्थलकृतियाँ :
प्रश्न।
ज्वालामुखीय संरचनात्मक आकृतियाँ पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।( UPPSC 2001)
उत्तर:
ज्वालामुखी भू-आकृतियाँ दो प्रकार की होती हैं:
- अन्तर्वेधी आकृतियाँ
- बहिर्वेधी आकृतियाँ
अन्तर्वेधी ज्वालामुखीय स्थलाकृति :
- जब लावा धरातल पर पहुंचने से पहले क्रस्ट के भीतर ही ठंडा होकर विभिन्न भू आकृतियाँ बनाती है उसे अन्तर्वेधी आकृति कहते है।
निम्नलिखित अन्तर्वेधी ज्वालामुखीय के प्रकार हैं:
- सिल
- भित्ति
- बाथोलिथ( महास्कंध )
- लैकोलिथ
- फैकोलिथ;
सिल :
- जब ज्वालामुखी विस्फोट के दौरान लावा ऊपर की ओर बढ़ता है लेकिन लावा का कुछ हिस्सा क्षैतिज दिशा में जाकर क्रस्ट के भीतर ठंडा हो जाता है तो इसे सिल कहा जाता है।
भित्ति :
- जब लावा सतह की ओर ऊपर की ओर बढ़ता है लेकिन जमीन के लंबवत क्रस्ट के भीतर ठंडा हो जाता है तो इस दीवार जैसी संरचना को डाइक(भित्ति ) कहा जाता है।
बाथोलिथ( महास्कंध ):
- यह लंबा, अनियमित और आम तौर पर गुंबद के आकार का मैग्ना होता है जो बहुत गहराई में ठंडा होता है।
- लेकिन समय के साथ अपरदन के कारण यह सतह पर आ जाते है , छोटा नागपुर और राची पठार में कई बथोलिथ चट्टानों अभी सतह पर दिखते हैं।
लैकोलिथ:
- यह बथोलिथ की तरह है लेकिन इसका आकार मशरूम के तरह होता है और यह कम गहराई पर बनता है और लावा वाले पाइप से जुड़ा होता है
फैकोलिथ;
- यह मुड़े हुए पर्वत के एंटीलाइन और सिंकलाइन क्षेत्रों में पाया जाता है।
बहिर्जात ज्वालामुखी भू-आकृतियाँ
जब ज्वालामुखीय लावा धरातल पर आकर ठंण्डा होती है और विभिन्न प्रकार की आकृतियाँ बनाती है तो उसे बहिर्जात ज्वालामुखी भू-आकृतियाँ कहते है। आग्नेय चट्टानें इसका उदाहरण है।
निम्नलिखित बहिर्मुखी भू-आकृतियाँ हैं:
- सिंडर शंकु
- मिश्रित शंकु
- लावा पठार
- डॉम गर्त या काल्डेरा
- ज्वालामुखी चट्टान
राख(सिंडर) शंकु:
- यह ज्वालामुखी की धूल और राख से बनता है और आमतौर पर इसकी ऊंचाई कम होती है।
- उदाहरण के लिए, मेक्सिको का माउंट जोरुलो।
मिश्रित शंकु:
- ऊंचाई सिंडर शंकु से अधिक होता है और विभिन्न परतों द्वारा बनती है।
- उदाहरण, जापान में माउंट फुजियामा, संयुक्त राज्य अमेरिका में माउंट हूड।
विश्व में ज्वालामुखीय वितरण:
- 500 में से 400 ज्वालामुखी पैसिफिक रिंग ऑफ फायर (प्लेटों के अभिसरण क्षेत्र के साथ) में पाए जाते हैं।
- अन्य ज्वालामुखी गतिविधियाँ भूमध्य सागर और अल्पाइन हिमालय पर्वत के साथ-साथ दुनिया के कमजोर क्षेत्र में पाई जाती हैं।
- अफ्रीका में बहुत कम ज्वालामुखीय गतिविधियाँ पाई जाती हैं।
- अंडमान निकोबार में "बारेन द्वीप" में एक सक्रिय ज्वालामुखी पाया जाता है।
- ऑस्ट्रेलिया में कोई ज्वालामुखी गतिविधियां नहीं पाई जाती हैं।
ज्वालामुखियों के नकारात्मक प्रभाव:
निम्नलिखित नकारात्मक प्रभाव हैं:
- संपत्ति और मानव जीवन का विनाश होता है ।
- फसल और जंगल का नुकसान होता है ।
- यह सूर्य के प्रकाश (इन्सुलेशन ) को पृथ्वी के पहुंचने से रोकता है।
- वायुमंडलीय तापमान को बढ़ाता है।
- यह अम्लीय वर्षा को बढ़ाता है।
- महासागरों में होने पर यह सुनामी पैदा कर सकता है।
- 1883 में, माउंट क्राकोटा ज्वालामुखी ने सुनामी पैदा की जिसने 30,000 से अधिक लोगों की जान ले ली।
ज्वालामुखी विस्फोट के सकारात्मक प्रभाव:
निम्नलिखित सकारात्मक प्रभाव हैं:
- बहुत सारे नये भूआकृतियाँ बनते है।
- ज्वालामुखीय चट्टानों के अपघटन से उपजाऊ मिट्टी बनती है।
- ज्वालामुखीय धूल और राख भी क्षेत्रों के आसपास उर्वरता बढ़ाते हैं।
- क्रेटर झीलें और गर्म पानी के झरने बनते हैं।
- यह बहुमूल्य खनिजों का स्रोत है।
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