हम्बोल्ट और रिटर के बीच समानताएं:
- अलेक्जेंडर वॉन हंबोल्ट [1769 से 1859] और कार्ल रिटर [1779-1859], दोनों जर्मनी के थे और एक ही अवधि में रहते थे और इस अवधि को "भूगोल की उत्कृष्ट अवधि" के रूप में भी जाना जाता है।
- अलेक्जेंडर वॉन हंबोल्ट और कार्ल रिटर, दोनों ही आधुनिक भौगोलिक विचारों के संस्थापक हैं।
- हम्बोल्ट और रिटर ने भूगोल को एक अकैडमिक विषय के रूप में मजबूती प्रदान दी।
- कार्ल रिटर का जन्म हम्बोल्ट के जन्म के 10 साल बाद हुआ था, दोनों की मृत्यु 1859 में हुई थी।
हम्बोल्ट के बारे में:
- हम्बोल्ट का पूरा नाम अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट है।
- उन्हें भूविज्ञान, भू-आकृति विज्ञान, जलवायु विज्ञान, इतिहास, रसायन विज्ञान, आदि जैसे कई विषयों में महारत हासिल थी।
- उन्होंने अपनी सारी ऊर्जा यात्रा+अनुसंधान+ब्रह्मांड की पूरी व्यवस्था को समझने में लगा दी।
- उन्होंने दुनिया के कई हिस्सों जैसे दक्षिण अमेरिका, यूरोप, रूस और अन्य स्थानों की यात्रा अपने सभी भौगोलिक उपकरणों जैसे बैरोमीटर, टेलीस्कोप आदि के साथ करते थे।
उनका निम्नलिखित का अध्ययन किया:
- भू-चुम्बकीय का प्रभाव
- भूमिगत खदानों में मिले भूमिगत पौधे
- आल्प्स की चट्टानी संरचना का अवलोकन किया
- लगभग 6,000 पौधे और रॉक नमूने एकत्र किए।
- वेनेज़ुएला में अधिकांश ज्वालामुखी पर्वत पर चढ़े।
- सामाजिक असमानता के वे खिलाफ थे।
आधुनिक भौगोलिक विकास में वॉन हम्बोल्ट का योगदान।
उन्हें "पर्मा फ्रॉस्ट" शब्द का उदगार करने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने पर्मा फ्रॉस्ट को स्थायी रूप से बर्फ के नीचे जमे हुए जमीन को बताया जो साइबेरिया में पाया गया था।
उन्होंने "कॉस्मोग्राफी" शब्द का प्रतिपादन किया। ब्रह्मांड विज्ञान का मुख्य उद्देश्य सार्वभौमिक की सामान्य और संपूर्ण तस्वीर को समझना था। कॉस्मोग्राफी को दो भागों में बांटा गया था, यूरेनोग्राफी और भूगोल।
- यूरेनोग्राफी ब्रह्मांड के खगोलीय पिंडों से संबंधित है।
- भूगोल पृथ्वी के स्थलीय भाग से संबंधित है। उन्हें भौतिक भूगोल का अग्रदूत कहा जाता है।
- हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि उनका विचार भूगोल के व्यवस्थित दृष्टिकोण का अध्ययन करने के करीब था।
हम्बोल्ट के अनुसार "भूगोल का अर्थ है बहुलता की सामंजस्यपूर्ण एकता को समझना, संपूर्ण जीवन जीना, आंतरिक स्वतंत्रता के साथ आध्यात्मिक आनंद जिसे बाहरी शक्ति द्वारा नष्ट नहीं किया जा सकता है"। कार्ल रिटर की भी भौगोलिक अवधारणा यही थी ।
हम्बोल्ट के अनुसार, भूगोल न केवल पृथ्वी की भौतिक विशेषताओं के अध्ययन से संबंधित है, बल्कि इसमें जीवमंडल, वायुमंडल, जलमंडल, स्थलमंडल और स्वयं मानव सहित पृथ्वी के विभिन्न घटकों के बीच की घटनाओं का अंतर्संबंध भी शामिल है। हम निष्कर्ष निकाल सकते हैं, वह भौतिक बनाम मानव भूगोल द्वंद्ववाद में विश्वास नहीं करता है।
- उन्होंने मानव जाति की एकता का पुरजोर समर्थन किया।
- वह सभी नश्लों के समान उत्पत्ति में विश्वास करते थे, कोई भी जाति दूसरों से कम नहीं होती है।
- उन्होंने धर्म, राष्ट्रीयता, नस्ल और रंग पर विचार किए बिना समग्र रूप से मानवता का समर्थन किया।
- हम्बोल्ट ने प्रकृति के सावधानीपूर्वक अवलोकन और अवलोकन द्वारा सटीक माप की आवश्यकता पर बल दिया।
- हम्बोल्टियन भूगोल भूगोल की कांटियन अवधारणा प्रतीत होती है [भूगोल और एंथ्रोपोलॉजी को एक साथ अध्यन], लेकिन उनके लेखन में कोई वास्तविक प्रमाण नहीं था।
- हम्बोल्ट ईश्वर के अस्तित्व के बारे में निश्चित नहीं थे और उन्होंने अपने लेखन में ईश्वर के वचन का उल्लेख नहीं किया है।
कार्ल रिटर का आधुनिक भौगोलिक विकास में योगदान
- कार्ल रिटर के अनुसार "भूगोल मानव और प्रकृति की परस्पर क्रिया का अध्ययन है।
- वे मानव भूगोल का अग्रदूत कहा जाता है।
- उन्होंने हम्बोल्ट की तरह उतनी यात्रा नहीं की, उनका भौगोलिक विचार दूसरों के विचार के अवलोकन और स्वयं की सोच पर निर्भर था।
- वह एक धर्मनिष्ठ धार्मिक व्यक्ति हैं, उनका मानना है कि "भगवान ने मनुष्यों को सभ्य बनाने के उद्देश्य से पृथ्वी का निर्माण किया ताकि मनुष्य बर्बरता से स्वर्ग के योग्य नागरिक बन सकें"।
- चूंकि वे एक धार्मिक व्यक्ति हैं, इसलिए उनका भूगोल के प्रति एक नियतिवाद दृष्टिकोण था ।
- उन्होंने यूरोप का व्यवस्थित भूगोल प्रदान किया।
- उन्होंने अपनी पुस्तक "तुलनात्मक भूगोल" द्वारा विश्व का संपूर्ण व्यवस्थित भूगोल प्रदान किया।
- वह जैविक और अजैविक घटकों के बीच विविधता में एकता के सिद्धांत में विश्वास करते थे।
- उन्होंने अपनी पुस्तक "एर्दकुंडे" में इस बात पर जोर दिया था कि भूगोल इतिहास से अविभाज्य है। इसलिए दोनों को साथ में अध्ययन किया जाना चाहिए।
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