प्रश्न:
भारत में पादपों तथा जीवों का वितरण किन तत्वों द्वारा निर्धारित होता हैं ?
उत्तर:
भारत में पादपों तथा जीवों का वितरण निम्नलिखित दो कारकों से प्रभावित होता है:
- धरातल (भूभाग और मृदा )।
- जलवायु (तापमान, प्रकाशकाल और वर्षा)।
उच्चावच:
भूमि की प्रकृति या भूमि की उच्चावच कितनी है यह पौधों और जानवरों के प्रकार को प्रभावित करते हैं।
उदाहरण के लिए,
- उबड़-खाबड़ इलाके या पहाड़ी और पठारी भूमि जहां उच्चावच ज्यादा होती है वहा विभिन्न प्रकार के जंगलों और वन्य जीवन का निवास होता हैं।
- पश्चिमी घाट, उत्तर पूर्वी पहाड़ियों, मध्य पहाड़ियों और हिमालय के दक्षिणी ढलान में घने जंगल और समृद्ध वन्य जीवन पाए जाते हैं।
- उपजाऊ मैदानी क्षेत्र में फसले उगाये जाते हैं और यहाँ पशु की प्रजातियाँ अधिक नहीं पाई जाती हैं जितनी पहाड़ों पर पायी जाती है।
- घास और पशुपालन के लिए कम उपजाऊ समतल भूमि को प्राथमिकता दी जाती है।
मिट्टी:
वनस्पति और वन्य जीवन के प्रकार भी मिट्टी के प्रकार से तय होते हैं।
उदाहरण के लिए,
- जलोढ़ मिट्टी फसलों के लिए अच्छी होती है।
- कैक्टस और कंटीली झाड़ियाँ और मरुस्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र केवल रेतीली मिट्टी पर उगते है।
- डेल्टाई क्षेत्र में गीली और दलदली मिट्टी पर मैंग्रोव वनस्पति उगते है।
- लैटेराइट मिट्टी पर बड़े पेड़ों और बड़े जानवरों पाए जाते है।
तापमान:
- तापमान वनस्पति के प्रकारों को प्रभावित करता है।
- उच्च तापवान वाले क्षेत्र में उष्णकटिबंधीय वनस्पति जैसे रोजवुड, आबनूस, साल, सागौन आदि पाए जाते हैं और इस क्षेत्र में सर्दियों के महीने में औसत तापमान 18 डिग्री सेंटीग्रेड से नीचे नहीं जाता है।
- अल्पाइन वनस्पति जैसे काई, बर्फीले क्षेत्रों जहां पर तापमान निम्न होता है वहा पर पाई जाती है। इस तरह के क्षेत्र हिमलय में पाए जाते है।
- उष्णकटिबंधीय और अल्पाइन क्षेत्रों के बीच, उपोष्णकटिबंधीय और समशीतोष्ण वनस्पति [शंकुधारी वन] पाए जाते हैं।
- उष्णकटिबंधीय वनस्पतियाँ दक्षिण भारत में व्यापक रूप से पाई जाती हैं।
फोटोपेरियोड ( सूर्य का प्रकाश ):
- गर्मियों के महीनों में, सूर्य के प्रकाश की लंबी अवधि के कारण सर्दियों के महीनों की तुलना में पेड़ तेजी से बढ़ते हैं।
- हिमालय के दक्षिणी ढलान में प्रकाशकाल हिमालय के उत्तरी ढलान की तुलना में अधिक है, इसलिए हिमालय के दक्षिणी हिस्से में एक गहन वनस्पति और समृद्ध वन्य जीवन है।
वर्षण:
- भारत में पौधों और जानवरों के वितरण में वर्षा सबसे सक्रिय निर्णायक कारक है।
- वर्षा की मात्रा और वनस्पति और वन्य जीवन की समृद्धि के बीच घनिष्ठ संबंध है।
- पश्चिमी घाट, अंडमान और निकोबार, पश्चिम बंगाल के तटीय क्षेत्रों और उत्तर पूर्वी पहाड़ियों जैसे उच्च वर्षा वाले क्षेत्रों में घने वनस्पति और समृद्ध वन्यजीव हैं।
- राजस्थान और लद्दाख जैसे कम वर्षा वाले क्षेत्रों में कम वनस्पति आवरण पाया जाता है।
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