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वैश्विक पारिस्थितिक असंतुलन | क्षेत्रीय वैश्विक पारिस्थितिक असंतुलन

   प्रश्न। 

पारिस्थितिक संतुलन और असंतुलन से आप क्या समझते है ? भूमंडलीय पारिस्थितिक असंतुलन में योगदान देने वाले तत्वों का वर्णन करें।   ( 25 Marks, 66th BPSC geography)

वैश्विक पारिस्थितिक असंतुलन के उत्तरदाई कारकों की विवेचना कीजिए। ( 60-62nd BPSC geography)

उत्तर।


जैसा कि हम जानते हैं, हमारे आस-पास की हर चीज हमारे पर्यावरण का हिस्सा है। पर्यावरण के दो प्रमुख घटक हैं, जैविक और अजैविक घटक।

सभी जीव जैसे पौधे, जानवर, सूक्ष्मजीव और मनुष्य पर्यावरण के जैविक घटकों का हिस्सा हैं। मिट्टी, पानी, हवा, तापमान, धूप, खनिज आदि पर्यावरण के अजैविक घटकों के अंग हैं।

किसी क्षेत्र  में , सभी जीव एक दूसरे के साथ और पर्यावरण के अजैविक घटकों के साथ परस्पर क्रिया करते हैं, एक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करते हैं।

पर्यावरण स्वःचालित होता है और इसे स्वःचालित बने रहने की लिए जीवधारियों  को एक विशेष अनुपात में रहना जरुरी होता हैं जिससे जैविक और अजैविक के बीच  अन्तः क्रिया जारी रहे। 

पारिस्थितिक तंत्र के हम किसी विशेष स्थान के जीवधारियों के जन्म, विकास, वितरण ,प्रवित्ति , प्रतिकूल अवस्थाओं में जीवित रहने, ऊर्जा प्रवाह, जैव भू-रसायन चक्र का अध्ययन करते है। 


पारिस्थितिक संतुलन क्या है?

पारिस्थितिक तंत्र की स्थिरता में प्रत्येक जीव और अजैविक घटक की अपनी भूमिका होती है। पारिस्थितिक संतुलन, एक आवास या पारिस्थितिकी तंत्र में जीवों के एक समुदाय के भीतर एक गतिशील संतुलन को कहते है। 

पारिस्थितिक संतुलन की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

  • पारिस्थितिक तंत्र में प्रजातियों की संख्या स्थिर रहती हैअतार्थ ना  ही किसी प्रजातियों की संख्या ज्यादा होती है जिससे दूसरे प्रजीतिया  विलुप्त हो जाये। 
  • वनस्पतियों की विविधता स्थिर रहे या बढ़ती रही। 
  • पानी, मिट्टी, वायु और खनिजों जैसे अजैविक घटकों की गुणवत्ता में कमी ना  हो ।
  • उदाहरण के लिए, घास के मैदानों में, घास के विकास को रोकने के लिए बड़ी संख्या में शाकाहारी होते हैं और पर्याप्त संख्या में [लेकिन शाकाहारी से कम] मांसाहारी होते हैं जिससे पारिस्थितिक तंत्र  का संतुलित विकास बनी रहे   और जैविक और अजैविक घटक के बीच अन्तः क्रिया जारी रहे।


पारिस्थितिक असंतुलन क्या है:

पारिस्थितिक असंतुलन एक ऐसी स्थिति है जहां पर किसी विशेष जीव की प्रजाति के संख्या या तो बहुत बढ़ जाती है या तो बहुत ही घट जाती है जिससे तंत्र की स्वत: समायोजन शक्ति कमजोर पडने  लगती है।  

पारिस्थितिक असंतुलन के संकेत निम्नलिखित हैं:

  • विशेष प्रजातियों की जनसंख्या में उच्च वृद्धि और अन्य प्रजातियों की जनसंख्या में कमी।
  • जंगल, मिट्टी, पानी, खनिज आदि जैसे विशेष संसाधनों में तेज गिरावट।



भूमंडलीय पारिस्थितिक असंतुलन में योगदान देने वाले प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं:

औद्योगिक क्रांति के बाद संसाधनों के मानव नासमझ शोषण, जनसंख्या विस्फोट और उच्च खपत के कारण पारिस्थितिक असंतुलन शुरू हुआ, जिसके परिणामस्वरूप पारिस्थितिकी के होमोस्टैसिस सिद्धांतों में गड़बड़ी हुई जो वैश्विक और क्षेत्रीय स्तरों पर पारिस्थितिक असंतुलन की ओर ले जाती है

नई जीव जन्तुओ प्रजातियों को नए जगह  प्रवेश :

  • जानबूझकर या अनजाने में मानवीय गतिविधियों से, पौधों और जानवरों की कुछ प्रजातियाँ नए आवास में प्रवेश कर जाती हैं जहाँ उनका कोई शिकारी नहीं होता है जो उसके जनसँख्या को रोक सके।  एसके  कारण उस प्रजाति की जनसंख्या में बहुत ज्यादा वृद्धि होती है, जिससे उस आवास में पारिस्थितिक असंतुलन पैदा हो जाता है।
  • उदाहरण के लिए, पश्चिमी घाटों में लैंटाना फूल की प्रजातियों के आने से जैव विविधता को बहुत नुकसान हुआ है।


उच्च मानव जनसंख्या वृद्धि होने के कारण:

  • उच्च मानव जनसंख्या वृद्धि होने के कारण पारिस्थितिकी पर बहुत ज्यादा बोझ हो गयी है और मनुष्य अपनी जरुरत को पूरा करने के लिए :
  • वनों की बहुत ज्यादा कटाई करता है। जिससे वन्यजीवों के आवास में कमी आ जाती है। 
  • अधिक अन्न उत्पादन के लिए , दोषपूर्ण कृषि पद्धतियां और रासायनिक कीटनाशकों और उर्वरकों का उपयोग करता है जिससे पारिस्थितिकी के बहुत सारे जीवो को हानि पहुँचती है और उनकी संख्या में कमी आती है। 
  • औद्योगिक क्रांति और प्लास्टिक की उपयोग के कारण विभिन्न प्रदूषणों में खतरनाक स्तर पर वृद्धि हुई है।

प्राकृतिक आपदा:

  • प्राकृतिक आपदाएं जैसे बाढ़, सुनामी, जंगल की आग, भू-स्खलन आदि पारिस्थितिकी के एक विशेष जीवो को ज्यादा नुकसान पहुँचती है और अजैविक घटक को हानि होने से जोवो का ह्रास होता है जिससे को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं।



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