प्रश्न।
सूर्याताप के वितरण को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना किजिए ( UPPSC, 2019)
उत्तर
सूर्यताप क्या है?
सौर ऊर्जा लघु तरंग विकिरण के रूप में पृथ्वी पर आती हैं , पृथ्वी पर आने वाले लघु तरंग सौर विकिरण को सूर्यातप कहा जाता है।
सामान्य तौर पर, पृथ्वी की सतह के किसी स्थान पर प्राप्त होने वाले सूर्यातप और उस स्थान के तापमान के बीच घनिष्ठ संबंध होता है। उदाहरण के लिए ,
- भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर जाने पर सूर्यातप कम होता जाता है और इस कारण से तापमान भी भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर जाने पर पृथ्वी की सतह पर कम होता जाता है।
पृथ्वी की गोलाकार आकृति, अपनी धुरी पर पृथ्वी का झुकाव, परिक्रमण और पृथ्वी पर वायुमंडल की उपस्थिति के कारण, पृथ्वी पर सूर्यातप वितरण एक समान नहीं है। पृथ्वी पर सूर्यातप की स्थानिक और लौकिक [ समय के साथ बदलना ] दोनों में भिन्नताएँ पाई जाती हैं।
factor affecting Insolation |
निम्नलिखित कारक सूर्यातप के वितरण को प्रभावित करते हैं:
- विभिन्न अक्षांशों में दिन और रात की अवधि
- सूर्य की किरणों का आपतन कोण
- वायुमण्डल में जलवाष्प
- वातावरण में धूल के कण
- वातावरण में बादल
विभिन्न अक्षांशों में दिन और रात की अवधि:
- पृथ्वी की आकार लगभग गोलाकार है तथा पृथ्वी अपने कक्षीय प्लेन से 66.5 डिग्री का कोण बनाता है या अपने अक्ष से 23. 5 डिग्री से झुकी हुई हैं।
- पृथ्वी अपने झुके हुए अक्ष से परिक्रमण और परिभ्रमण के कारण, विभिन्न अक्षांशों में दिन और रात की अवधि एक सामान नहीं होती और दिन और रात की अवधि के स्थानिक भिन्नता के साथ साथ उस स्थान में दिन और रात की अवधि भी पुरे साल समान नहीं होती है। स्थान की दिन की अवधि गर्मी के मौसम में ज्यादा होती है और ठण्ड की मौसम में कम होती है।
- भूमध्यरेखीय क्षेत्र में दिन की अवधि पुरे वर्ष अधिक होती है और समशीतोष्ण और ध्रुवीय क्षेत्र में दिन की छोटी अवधि होती है, इस प्रकार भूमध्यरेखीय क्षेत्र में उच्च अक्षांश की तुलना में अधिक सूर्यातप होता है।
सूर्य की किरणों का आपतन कोण:
- चूँकि हम जानते हैं कि पृथ्वी एक गोलाकार आकृति में है और कक्षीय तल पर 66.5 डिग्री झुकी हुई है, इसलिए सूर्य की किरणें विभिन्न अक्षांशों पर विभिन्न कोणों पर सतह पर पहुँचती हैं। उच्च अक्षांश पर कम कोण बनता है और कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच लगभग 90 डिग्री का कोण वर्ष के कम से कम एक बार बनता है।
- तिरछी किरणों के कारण, सूर्य की किरणें वातावरण में लंबी दूरी तय करती हैं और सतह पर बड़े क्षेत्रों को कवर करती हैं, इसलिए उच्च अक्षांश में प्रति इकाई क्षेत्र में कम सूर्यातप प्राप्त होता है।
- ऊर्ध्वाधर सूर्य की किरणों के कारण, सूर्य की किरण वायुमंडल में कम दूरी तय करती है और सतह पर कम क्षेत्रों को कवर करती है, इसलिए कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच प्रति इकाई क्षेत्रों में अधिक सूर्यातप प्राप्त होता है।
वायुमण्डल में जलवाष्प:
- वायुमंडल में जलवाष्प की उपस्थिति होने के कारण यह सूर्यातप को पृथ्वी की सतह तक पहुँचने में रोकती है और सूर्यातप के कुछ भाग को अवशोषित भी कर लेती है।
- इसी कारण गर्म रेगिस्तान में सूर्यतप ज्यादा होता है क्योंकि वहा जलवाष्प अनुपस्थित रहता है।
वातावरण में धूल के कण:
- वायुमण्डल में धूल के कणों की उपस्थिति होने पे यह सूर्यातप को पृथ्वी की सतह तक पहुँचने से रोकती है क्योंकि महीन धूल के कण सूर्यातप को अंतरिक्ष में बिखेर देते हैं और बड़े धूल के कण वायुमंडल में सूर्यातप को फैला देते हैं।
वातावरण में बादल:
- बर्फ के क्रिस्टल वायुमंडलीय बादलों में मौजूद होते हैं, जैसा कि हम जानते हैं कि बर्फ में उच्च एल्बीडो होता है, इस प्रकार बादल सूर्यातप को वायुमण्डल से अंतरिक्ष में परावर्तित कर देता हैं।
उपरोक्त सभी कारके पृथ्वी पर सूर्यातप की वितरण को प्रभावित करता है।
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Click here for Commentsपृथ्वी अपने अक्ष पर 23.5° झुकी हुई है ना कि 66.5°
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