पशुपालन:
पशुपालन एक कृषि अभ्यास है जिसमे पशुओ का पालन दूध, अंडे, मांस, ऊन, रेशम, शहद, गोबर (ईंधन), आदि के लिए किया जाता है।
पशुपालन को "पशुधन पालन और चयनात्मक प्रजनन" के रूप में भी जाना जाता है।
पशुपालन में निम्नलिखित शामिल हैं:
- मिश्रित फसल-पशुधन की खेती।
- मुर्गी पालन।
- पशु पालन।
- मछली पालन
- दूध उत्पादन
- रेशम पालन
- मधुमक्खी पालन
- अन्य पशुपालन
भारत में, ग्रामीण भारत में किसान मिश्रित फसल-पशुधन खेती प्रणाली का उपयोग करते हैं। जिसका अर्थ है कि फसलों के साथ-साथ पशुधन को एक साइड बिजनेस के रूप में पाला जाता है। कुक्कुट, मवेशी, बकरी, मुर्गी, ऊंट ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक रूप से पशु प्रजातियां हैं।
2019 में भारत में पशुधन का वितरण निम्नलिखित है:
- कुक्कुट (भारत के पशुधन का सबसे बड़ा हिस्सा कुक्कुट है, यह कुल पशुधन आबादी का 61% हिस्सा है)
- मवेशी और भैंस (गाय, बैल, ऊंट, भैंस जैसे मवेशी कुल पशुधन आबादी का 22℅ हैं, भारत में 2019 में 110 मिलियन भैंस सहित कुल 303 मिलियन मवेशी हैं।)
- भेड़ और बकरियां (यह कुल पशुधन आबादी का 16℅ हिस्सा है)
- सूअर (यह कुल पशुधन आबादी का 1℅ हिस्सा है)
- अन्य पशुधन(16%)
- पशुधन किसानो की आय में वृद्धि तथा आय में स्थिरता प्रदान करता है। अधिकांश किसानों को पशुपालन करने में बढ़ाअतिरिक्त लागत नहीं होती है क्योंकि पशुपालन फसलों के साथ-साथ किया जाता है।
- पशुपालन खाद्य प्रसंस्करण गतिविधियों को बाधित किए बिना परिवार के लिए खाद्य सुरक्षा (दूध, मांस), परिवहन (माल ढोने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला पशुधन), ईंधन (गाय का गोबर), और पोषण प्रदान करता है।
- यह 70 मिलियन से अधिक ग्रामीण लोगों के लिए आजीविका का एक वैकल्पिक विकल्प है। समग्र पशुपालन द्वारा ग्रामीण लोगों की मौसमी बेरोजगारी की समस्याओं को हल किया जा सकता है क्योकि केवल फसल उगाने से किसानो को मौसमी बेरोजगारी का सामना करना पड़ता है लेकिन पशुपालन पुरे साल रोजगार प्रदान करता हैं।
- यह महिलाओं की आय और महिलाओं के सशक्तिकरण को बढ़ाने का एक उपकरण है क्योंकि पशुपालन में महिलाओं का रोजगार अधिक है।
- कम उपजाऊ मिट्टी में भी पशुपालन किया जा सकता है और पानी की खपत भी फसल उगाने की तुलना में कम होती है। शुष्क, अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में पशुपालन एक बहुत ही आशाजनक विकल्प है। यह भारत के वर्षा आधारित क्षेत्रों में आजीविका का एक प्रमुख साधन है।
- यह ग्रामीण भारत में गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों में एक प्रमुख भूमिका निभाता है।
- पशुपालन में कुछ चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं:
- प्रजनन की बेहतर गुणवत्ता की अनुपलब्धता।
- पशुपालन की बुनियादी ढांचा में कमी।
- नए कौशल और गुणवत्ता सेवाओं की कमी।
- पशु रोगों का खराब नियंत्रण।
- पशुपालन अवसंरचना विकास कोष (2020)
- राष्ट्रीय गोकुल मिशन
- राष्ट्रीय पशुधन मिशन (2014-15)
- राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम
- राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम
- मानव कल्याण में पशुपालन की भूमिका का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- विविधीकरण के स्रोत के रूप में पशुपालन के महत्व पर प्रकाश डालिए
- भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पशुपालन का क्या महत्व है? (66वीं BPSC)
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