बिहार का भूगोल:
- बिहार देश के पूर्वी भाग में स्थित है।
- बिहार एक लैंडलॉक राज्य है।
- यह 83° 19' से 88° 17' पूर्वी देशांतर और 24° 20' से 27° 31' उत्तरी अक्षांशों के बीच स्थित है।
- यद्यपि यह कर्क रेखा के उत्तर में स्थित है, अन्य भौगोलिक कारकों के कारण जैसे कि उत्तर की ओर हिमालय की उपस्थिति, बिहार में एक उपोष्णकटिबंधीय समशीतोष्ण जलवायु है।
- बिहार पूर्व में पश्चिम बंगाल की आर्द्र जलवायु और पश्चिम में उप आर्द्र उत्तर प्रदेश के बीच स्थित है। बिहार का स्थान आर्द्र और उप-आर्द्र जलवायु के बीच संक्रमणकालीन क्षेत्र में है।
- गंगा, घाघरा, सोन, गंडक और कोसी बिहार की महत्वपूर्ण नदियाँ हैं।
- गंगा नदी बिहार को लगभग दो हिस्सों में बांटती है और यह पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है।
बिहार का भूमि उपयोग प्रणाली( पैटर्न)
बिहार में भूमि उपयोग के पैटर्न निम्नलिखित हैं:
- बिहार का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल लगभग 93.60 लाख हेक्टेयर है। बिहार का क्षेत्रफल देश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का लगभग 2.86% है।
- लगभग 56.03 लाख हेक्टेयर (लगभग 59.86%) भूमि शुद्ध खेती वाले क्षेत्र हैं। शहरीकरण के कारण बिहार का शुद्ध कृषि योग्य क्षेत्र घट रहा है।
- लगभग 7.1% भौगोलिक क्षेत्र अधिसूचित वन क्षेत्र हैं।
- बिहार के लगभग 4.6 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र बंजर और अकृषि योग्य भूमि हैं।
- लगभग 17.5% भौगोलिक क्षेत्र का उपयोग गैर-कृषि उपयोग जैसे जल क्षेत्रों और बाढ़ क्षेत्रों के लिए आरक्षित क्षेत्रों के लिए किया जाता है।
- लगभग 10 से 11% भूमि क्षेत्र का उपयोग अन्य गतिविधियों जैसे सांस्कृतिक बंजर भूमि, स्थायी चारागाह, परती भूमि आदि के लिए किया जाता है।
बिहार में कृषि की स्थिति:
बिहार में कृषि के बारे में कुछ तथ्य निम्नलिखित हैं:
- बिहार के राज्य सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 24 से 25% कृषि क्षेत्र से आता है।
- राज्य के कर्मचारियों की लगभग 75 से 77 प्रतिशत आबादी वानिकी और मत्स्य पालन सहित कृषि क्षेत्रों में शामिल है। बिहार में कृषि कार्यबल की भागीदारी राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक है।
- राज्य ने खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल की है।
- बिहार भारत में आलू, प्याज आदि सब्जियों का सबसे बड़ा उत्पादक है।
- बिहार भारत में लीची और अनानास का सबसे बड़ा उत्पादक भी है।
- बिहार की कृषि भूमि गहन खेती के लिए सबसे उपयुक्त है क्योंकि भूमि क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा खादर (हाल ही में जलोढ़ जमा) और बांगर (पुरानी जलोढ़ जमा) से आच्छादित है। प्राकृतिक उपजाऊ मिट्टी की मिट्टी बिहार की महत्वपूर्ण प्राकृतिक संपत्ति है।
बिहार में फसल प्रणाली(कृषि पैटर्न):
फसल प्रणाली का अर्थ है विशेष मौसम के दौरान विभिन्न फसलों के लिए उपयोग किए जाने वाले क्षेत्रों का अनुपात। फसल प्रणाली का विश्लेषण करने से हमें विभिन्न ऋतुओं में विभिन्न फसलों के क्षेत्रफलों के अनुपात तथा फसलों के महत्व का भी पता चलता है।
उदाहरण के लिए,
- खरीफ फसलों के दौरान धान की फसल बिहार की प्रमुख फसलें हैं क्योंकि यह बिहार के कुल भौगोलिक क्षेत्र के लगभग 37.12% में उगाई जाती है।
बिहार के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 60% खेती के अधीन है जो कि 42% के राष्ट्रीय औसत से बहुत अधिक है।
सामान्य तौर पर, कृषि/फसल के पैटर्न बड़े पैमाने पर वर्षा, तापमान, मिट्टी, राहत और प्रौद्योगिकी द्वारा निर्धारित होते हैं।
बिहार में कृषि पद्धति हर मौसम में बदलती रहती है। बिहार में तीन कृषि मौसम होते हैं:
- खरीफ फसलें
- रबी की फसल
- ज़ैद फसल
खरीफ फसलें:
- जून से अक्टूबर तक उगाई जाने वाली फसलें खरीफ फसलें कहलाती हैं।
- खरीफ मौसम में चावल की फसल मुख्य फसल होती है और यह बिहार के सभी जिलों में उगाई जाती है। 2020-21 के सरकारी आंकड़ों के अनुसार, बिहार में धान की फसल का फसल क्षेत्र 34.75 (बिहार के कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 37.12%) लाख हेक्टेयर है।
- बिहार में खरीफ सीजन के दौरान मक्का दूसरी सबसे बड़ी फसल है।
- बिहार में मक्का की फसल का फसल क्षेत्र 4.25 लाख हेक्टेयर है।
रबी की फसल:
- बिहार में गेहूं की फसल रबी सीजन की प्रमुख फसलें हैं। बिहार में गेहूँ का फसल क्षेत्र 24 लाख हेक्टेयर (कुल भौगोलिक क्षेत्रों का लगभग 25.64%) है।
- बिहार भारत में सब्जियों का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
ज़ैद फसल:
- बिहार भारत में लीची का सबसे बड़ा उत्पादक है।
- बिहार भारत में सब्जियों का सबसे बड़ा उत्पादक भी है।
बिहार में फसल प्रणाली के लिए जिम्मेदार कारक:
बिहार में इस तरह के कृषि पैटर्न के जिम्मेदार कारक निम्नलिखित हैं:
- बिहार का एक बड़ा कृषि योग्य क्षेत्र (60%) है क्योंकि इसका लगभग पूरा भाग मैदानी है और गंगा और अन्य हिमालयी नदियों द्वारा निर्मित है, जिसमें उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी प्रमुख है। बिहार में वनावरण बहुत कम (7.1%) है। यही कारण है कि यहां कृषि गतिविधियां प्रमुख हैं।
- बिहार उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में स्थित है। खरीफ के मौसम में भारी वर्षा, आर्द्र जलवायु और उपजाऊ मिट्टी के कारण धान की फसलें हावी होती हैं।
- नदियों की बारहमासी प्रकृति और राज्य में पर्याप्त भूजल की उपलब्धता के कारण, बिहार भारत के राज्यों में सब्जियों का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक और फलों का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक है।
बिहार में कृषि समस्याएं:
कृषि क्षेत्र में निम्नलिखित मुद्दे हैं:
- बहुत उपजाऊ भूमि और जल संसाधनों की प्रचुरता के बावजूद, बिहार की कृषि उत्पादकता भारत में सबसे कम है।
- कृषि में अच्छी उत्पादकता के लिए, अच्छी गुढ़वत्ता वाले बीज का उपयोग, सिचाई ,आदि की जरुरत होती है।
- किसानों को अच्छी गुणवत्ता वाले बीज नहीं मिल पाते हैं। कुछ लोग को मिलने पर भी उसका उपयोग बोने नहीं करते है। यह पाया गया है कि कुछ किसान अच्छी गुणवत्ता वाले बीज या तो दूसरे को बेच देते हैं या खुद भोजन के लिए इस्तेमाल कर लेते है जो उन्हें सरकार द्वारा सस्ते दामों पर बोने के लिए देती। किसानों को अच्छी गुणवत्ता वाले बीज के महत्व और उसकी कीमत के बारे में जागरूक करने की जरूरत है।
- गांवों में बिजली की उपलब्धता में अनिश्चितता होती है जिसके कारण किसानो को डर लगा रहता है कि उसकी फसल सिंचाई ना होने से ख़राब ना हो जाये।
- भंडारण की सुविधा नहीं होने से किसान को अच्छी लागत नहीं मिल पाती है और उन्हें सस्ते में बेचना पड़ता है।
- इन सब परेशानियों को होने के बावजूद कुछ किसान अच्छी लागत लगा के खेती करता है फिर भी उसे फसल की अच्छी कीमत नहीं मिलती क्योकि वहां कृषि आधारित उद्दोग की कमी है।
- बिहार में नगदी फसल जैसे गन्ने की उत्पादन उतना नहीं किया जाता है क्योकि खरीदने वाले की कमी है।
बिहार में कृषि क्षेत्र में सुधार के उपाय:
बिहार में कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए कुछ सुझाव निम्नलिखित हैं:
- किसानों को बीज की गुणवत्ता की उपलब्धता और पहुंच, दोनों पर काम करने की तत्काल आवश्यकता है।
- हम अच्छी गुणवत्ता वाले बीज और बिजली की उपलब्धता करके, आसानी से कृषि की उत्पादकता 2 से 3 गुना बढ़ा सकते हैं।
- बिहार में गन्ना जैसी नकदी फसलें उगाने की अच्छी संभावना है लेकिन चीनी उद्योगों की उपलब्धता नहीं होने के कारण किसान गन्ने की फसल नहीं उगाते है।
- चीनी उद्योग, इथेनॉल ब्लेंडिंग,आलू चिप्स उद्योग, खाद्य तेल प्रसंस्करण और अन्य कृषि आधारित उद्योगों की बड़े पैमाने पर स्थापना करने की जरुरत है जिससे की किसानो को उनकी उपज का उचित मूल्य मिले।
- बिहार में फलों और वनस्पतियों की अच्छी गुणवत्ता विकसित करने की बहुत अधिक संभावनाएं हैं क्योंकि क्षेत्रों में अनुकूल जलवायु और उपजाऊ मृदा है लेकिन कौशल, और प्राद्दोगिकी के ग्रामीण स्तर पर अभाव होने के कारण हम उसका उपयोग नहीं कर पा रहे है।
- किसानों को नवीनतम ज्ञान जोड़कर कौशल में सुधार की भी आवश्यकता है।
निम्नलिखित प्रश्नों को हल करने का प्रयास करें:
- बिहार में कृषि भूमि उपयोग और फसल प्रणाली की मुख्य विशेषताएं क्या है ? प्रदेश की कृषि समश्याओं का विश्लेषण करें। (66th BPSC)
- बिहार में कृषि के प्रणाली को उजागर करें और इस तरह के प्रणाली के लिए जिम्मेदार कारकों पर चर्चा कीजिए ।(64th BPSC)
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