झुग्गी बस्तियां क्या हैं?
मलिन( झुग्गी ) बस्तियाँ एक प्रकार की बस्ती हैं जो शहरी क्षेत्रों में सार्वजनिक भूमि पर अवैध रूप से बसी हुई होती हैं। यह आम तौर पर हवाई अड्डे, रेलवे स्टेशन, रेलवे लाइन, नदी के किनारे, बाजार के पास, आदि के पास पाया जाता है।
UN-HABITAT के अनुसार, झुग्गी बस्तियों की विशेषता है:
- घटिया मकान।
- बहुत अधिक जनसंख्या घनत्व।
- शहरी गरीबों का घर।
- कार्यकाल सुरक्षा का अभाव।
- अव्यवस्थित विकास।
मलिन बस्तियों के उदाहरण हैं:
- भारत की सबसे बड़ी और एशिया की दूसरी सबसे बड़ी स्लम धारावी है, जो मुंबई के मध्य में स्थित है। यह 230 हेक्टेयर में फैला है जिसमें 5 लाख से अधिक आबादी है। धारावी में रहने वाले लोगों की जीवन प्रत्याशा लगभग 40 वर्ष है।
- मेक्सिको में नेज़ा दुनिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती है।
एनएसएसओ (NSSO) 2012 की रिपोर्ट के अनुसार:
- भारत में 33,510 मलिन बस्तियां हैं।
- 17.4% शहरी आबादी स्लम क्षेत्रों में रहती है।
- सबसे ज्यादा स्लम एरिया महाराष्ट्र में है।
झुग्गी बस्तियों के विकास के कारण:
भारत में स्लम विकास के दो मुख्य कारण हैं:
- भारत का विभाजन के कारण दिल्ली और कोलकाता क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर मलिन बस्तियों के निर्माण हुआ।
- अनियोजित शहरी विकास के कारण अधिकांश शहरों में स्लम क्षेत्रों का निर्माण हुआ। मलिन बस्तियाँ अनियोजित शहरीकरण का उपोत्पाद हैं।
अनियोजित शहरी विकास निम्नलिखित की विशेषता है:
- अनियंत्रित ग्रामीण-शहरी प्रवास से शहर में भूमि और घर जैसे बुनियादी ढांचे की कमी हो जाती है जिसके कारण शहर में रहने वाला गरीब झुग्गी बस्तियों में रहने को मजबूर होता हैं क्योकि उसके पास उतने पैसे नहीं होते है कि वह महंगे किराया दे सके।
- अनौपचारिक अर्थव्यवस्था के बढ़ते के कारण लोगो की नौकरी असुरक्षित हो गयी है और बहुत से लोगो को रोज काम भी नहीं मिलता है जिसके कारण लोग अस्थाई घर बना के झुग्गी बस्तियों में रहते है।
- उदारीकरण, निजीकरण, वैश्वीकरण (एलपीजी) सुधारों के बाद शहरी बुनियादी ढांचे की मांग-आपूर्ति (मुख्य रूप से घरों और भूमि ) का अंतर में वृद्धि हुई। जिसके कारण झुग्गी बस्तियों और बढ़ी है।
- एलपीजी सुधार, सभी लोगों को समान लाभ प्रदान नहीं किया है और अमीर और गरीबो के बीच दुरी बढ़ी है ।
- शहरी निवासियों का खासकर गरीब जनता को वित्तीय संसाधनों तक सीमित पहुंच होने के कारण, वे घर खरीदने या महंगे किराए देने में असमर्थ होते है। जिसके कारण लोग झुग्गी बस्तियों में रहना ज्यादा पसंद करते है क्योकि वहां किराया बहुत ही काम होता है।
- खराब शहरी शासन, संसाधनों की कमी, व्यापक भ्रष्टाचार, अनियोजित शहरी आधारभूत संरचना आदि के कारण मलिन बस्तियों फैलते जाते है लेकिन उनका विकास नहीं हो पाता है।
शहरी वातावरण में मलिन बस्तियों का प्रभाव:
शहरी केंद्रों पर मलिन बस्तियों के प्रभाव निम्नलिखित हैं:
- स्लम क्षेत्रों की बड़ी आबादी जल जनित और अन्य बीमारियों जैसे टीबी, एड्स, हैजा से ग्रस्त होते है। यह शहरी केंद्र में स्वास्थ्य बोझ को बढ़ाता है।
- आय में अनिश्चितता के कारण, यह शहरी केंद्र में अपराध के दर को बढ़ाता है।
- शहरी केंद्र में भिखारी, बाल तस्करी, वेश्यावृत्ति आदि जैसी सामाजिक बुराई को भी बढ़ाता हैं ।
- बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों आम तौर से स्लम क्षेत्रों में कुपोषित होते है।
- शिक्षा और स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे का अभाव होता है ।
- शहर में श्रम आपूर्ति का प्रमुख स्रोत मलिन बस्तियां होती हैं जो सस्ते सेवा प्रदान करती है ।
स्लम विकास के लिए सरकार के कदम:
- स्लम पुनर्वास अधिनियम 1956
- राष्ट्रीय आवास योजना
- अमृत, स्मार्ट सिटी
- सरकार का लक्ष्य 2045 तक सभी स्लम क्षेत्रों को कंक्रीट के घरों से बदलना है।
निम्नलिखित प्रश्नों को हल करने का प्रयास करें:
- "झुग्गी बस्तियाँ एक शहरी खतरा हैं" उदाहरण के तौर पर भारतीय शहरों को स्पष्ट कीजिए। (UPSC 2007)
- भारत के महानगरों में मलिन बस्तियों के उद्भव के लिए 'पुश' और 'पुल' कारक कैसे कार्य करते हैं? (UPSC 2009)
- मलिन बस्तियों को परिभाषित कीजिए तथा उनकी समस्याओं का वर्णन कीजिए। (UPSC 2013)
- मलिन बस्तियों का विकास कैसे होता है? इनके सुधार के लिए ठोस सुझाव दीजिए। (UPSC 2016)
- पिछले तीन दशक में भारत के नगरों में गन्दी बस्तियों का फैलाव क्यों हुआ ? ये नगरीय पर्यावरण को कैसे प्रभावित कर रहे हैं (66वीं BPSC)
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