प्रश्न।
बहुचक्रीय भू आकृतियों पर संक्षिप्त में टिप्पणी कीजिए। (UPPSC 2017)
बहुचक्रीय स्थलाकृतियाँ पर व्याख्यात्मक टिप्पणी लिखिए। ( UPPSC 2002)
उत्तर।
बहुचक्रीय भू आकृतियां वे भू आकृतियां हैं जो अलग-अलग समय में भू-आकृतियों के कई अपरदनीय चक्रीय से बनते हैं।
यदि परिदृश्य कई अपरदन चक्रों से गुजरा होता है (जो भूमि के उत्थान या आधार स्तर के कम होने से बाधित हो सकते थे) तो परिदृश्य में अलग-अलग अधूरी भू-आकृतियाँ का अवशेष देखने को मिलते हैं।
उदाहरण के लिए,
- रांची में उपस्थित पैटलैंड एक बहुचक्रीय भू आकृति का एक उदाहरण है। पैटलैंड एक प्रकार का पेनेप्लेन हुआ करता था जो अपरदन के नदी चक्र के पुराने चरण की विशेषता है, लेकिन रांची में यह युवा भू आकृति के ऊपर पाया जाता है, जिसका अर्थ है कि वहा की भूमि का नवोन्मेष(उत्थान )हुआ है, इसलिए यहबहुचक्रीय भू आकृति का एक उदाहरण है।
- दामोदर घाटी एक बहुस्तरीय घाटी है और यहाँ अनेको बार नवोन्मेष हुआ है।
- उत्तराखंड नदी घाटी भी तीन स्तरीय है जो भूमि के तीन बार उत्थान होने से बना हैं।
- भांगर जैसे पुराने जलोढ़ छत भी बहुचक्रीय भू-आकृतियों के उदाहरण हैं।
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