प्रश्न।
- कास्र्ट भू-आकृतियों का विकास पर आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए । (UPPSC 2005)
- कास्ट प्रदेश में स्थलाकृतियों के विकास का क्रमबद्ध विश्लेषण कीजिए। (UPPSC 1994)
- सम्बंधित आयामों के साथ कार्स्ट भू-आकृति के निर्माण के लिए अपेक्षित स्थितियों की विवेचना कीजिये। ( 63rd BPSC, 2019)
- घाटी रंध्र अथवा युवाला का विकास कैसे होता है ? (NCERT)
- चूनायुक्त चट्टानी प्रदेशो में धरातलीय जल प्रवाह की अपेक्षा भौम जल प्रवाह अधिक पाया जाता है , क्यों ? (NCERT)
उत्तर।
सतही जल ही केवल भू आकृतिया नहीं बनाती है बल्कि भौम जल भी अनेक प्रकार की भू-आकृतियाँ बनाती है। भौम जल द्वारा बनाई गई आकृतियाँ हमें सभी जगह देखने को नहीं मिलती है यह हमें उन स्थानों पर देखने को मिलते है जहा की भूमि चूना पत्थर या डोलोमाइट शैल से बनी होती है।
किसी भी चूनापत्थर या डोलोमाइट क्षेत्र में भौम जल द्वारा घुलनप्रकिया और उनके निक्षेपण प्रकिया से बने स्थलाकृति को कार्स्ट स्थलाकृति कहते हैं।
कार्स्ट स्थलाकृति के विकास के लिए आवश्यक शर्तें:
कार्स्ट स्थलाकृति के विकास के लिए निम्नलिखित शर्तें आवश्यक हैं-
- भूमिगत, नीचे की ओर और क्षैतिज रूप से पानी की गति से चट्टानों का क्षरण होता है। चट्टानों का भौतिक या यांत्रिक अपरदन सभी क्षेत्रों में होता है लेकिन यह किसी भी दृश्यमान भू-आकृतियों के विकास के लिए पर्याप्त नहीं है। अतः जहा पर कार्बोनेट चट्टानों जैसे चूना पत्थर और डोलोमाइट या घुलनशील चट्टानों जैसे जिप्सम और नमक चट्टानों की पर्याप्त मात्रा होती है और साथ ही आद्र जलवायु होती है वहां पर भौमजल अपरदन या निक्षेपण स्थलाकृति का विकास होता है, इन क्षेत्रों में विकसित स्थलाकृति को कार्स्ट स्थलाकृति कहा जाता है।
- कार्स्ट स्थलाकृति, भूमिगत जल द्वारा कार्बोनेट चट्टानों (चूना पत्थर या डोलोमाइट) और पानी में घुलनशील चट्टानों (जिप्सम और नमक चट्टानों) के अपरदन और घोल के जमाव से बनती है।
- कार्स्ट स्थलाकृति बनने कार्बोनेट चट्टानों या घुलनशील चट्टानों का एक मोटा निक्षेप होना चाहिए।
- कार्बोनेट चट्टानों या घुलनशील चट्टानों को घोलने के लिए क्षेत्र में पर्याप्त वर्षा या भूजल होना चाहिए।
Karst Topography |
कार्स्ट स्थलाकृति की अपरदनीय भू-आकृतियाँ
निम्नलिखित अपरदनकारी कार्स्ट स्थलाकृति हैं:
- सिंकहोल ( घोलरंध्र )
- छिद्र ध्वस्त रंध्र या निपात रंध्र
- युवाला ( घाटी रंध्र )
- गुफाओं ( कन्दराएँ )
सिंकहोल ( घोलरंध्र ):
- सिंकहोल ( घोलरंध्र ) स्थलकृति कार्स्ट क्षेत्र की बहुत ही सामान्य अपरदनात्मक स्थलाकृति हैं।
- कार्स्ट क्षेत्र में सबसे पहले विलयन रंध्र बनते है जो छोटे से मध्यम आकार के गोल छिद्र या उथले गड्ढों होते हैं।
- विलयन रंध्र घुलन प्रक्रिया के माध्यम से बनते हैं।
- समय के साथ, विलयन रंध्र ऊपर से वृताकार और नीचे कीप (फ़नल ) के आकार में बदल जाता है , जिसे सिंकहोल ( घोलरंध्र ) कहा जाता है जहाँ से जल जमीन के अंदर रिसता है।
छिद्र ध्वस्त रंध्र या निपात रंध्र:
- दो या दो से अधिक सिंकहोल ( घोलरंध्र ) के विलय और ढहने के बाद बनने वाला स्थलाकृति को छिद्र ध्वस्त रंध्र या निपात रंध्र कहते हैं।
युवाला ( घाटी रंध्र ):
- जब दो या दो से अधिक सिंकहोल अपनी छत के ढहने के बाद जुड़ते हैं और लंबी, संकरी चौड़ी खाइयां बनाते हैं जो एक घाटी की तरह होती हैं, जिसे घाटी सिंक या उवलस कहा जाता है।
गुफाओं ( कन्दराएँ ):
- गुफाओं का निर्माण उन क्षेत्रों में होता है जहां चूना पत्थर या डोलोमाइट के शैल अन्य दो शैल (क्वार्टजाईट, बलुआ पत्थर) के बीच में उपस्थित होता हैं। और बाद में , चूना पत्थर की चट्टानों के विलयन और क्षरण के बाद गुफाओं का निर्माण होता है।
- आमतौर पर गुफाएं एक तरफ से खुली होती हैं जिससे जल की धारा निकलती है।
- वे गुफाएँ जो दो ओर से खुली होती हैं, सुरंग कहलाती हैं।
निक्षेपण भू-आकृतियाँ:
गुफा के भीतर ही प्रायः कार्स्ट निक्षेपण स्थलरूप बनते हैं। जैसा कि हम जानते हैं कि चूना पत्थर की रासायनिक संरचना कैल्शियम कार्बोनेट है जो कार्बोनेटेड जल ( कार्बनयुक्त जल या वर्षा जल में घुला हुआ कार्बन ) में आसानी से घुल जाता है । यह कैल्शियम कार्बोनेट का निक्षेपण होता है( और जल वाष्पीकरण और कार्बन डाइऑक्साइड मुक्त हो जाता है ) और गुफा में विभिन्न प्रकार के भू-आकृतियों का निर्माण करता है।
तीन प्रकार के भू-आकृतियों का निर्माण होता है:
- स्टैलेक्टाइट्स
- स्टैलेग्माइट
- स्तम्भ
स्टैलेक्टाइट्स:
- यह स्टैलेक्टाइट्स विभिन्न मोटाइयो के लटकते हुए स्तम्भ होते है जो गुफाओ के छत पर लटकते है। यह छत से चुनामिश्रित घोल के छत से टपकने से बनते है।
स्टैलेग्माइट:
- स्टैलेग्माइट कैल्शियम कार्बोनेट के जमाव से बनते है जो गुफाओ के फर्श से ऊपर की ओर बढ़ता है। यह भी चुनामिश्रित घोल से बनता है।
स्तम्भ:
- जब गुफा के फर्श से स्टैलेग्माइट छत तक जमा हो जाता है। ऐसे निक्षेपों को स्तम्भ भू-आकृतियाँ कहते हैं।
1 Comments:
Click here for CommentsGood
ConversionConversion EmoticonEmoticon