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नदी अपरदन से बनी स्थलाकृतियों की व्याख्या कीजिए। (UPPSC 2016)

 प्रश्न। 

नदी अपरदन से बनी स्थलाकृतियों की व्याख्या कीजिए। (UPPSC 2016)

उत्तर।

नदियों या बहते पानी से बनने वाली भू-आकृतियों को फ़्लूवियल लैंडफ़ॉर्म कहा जाता है। बहते पानी के भू-आकृतिक एजेंट आद्र जलवायु वाले क्षेत्र में सक्रिय होते हैं जहां पर भारी वर्षा होती है।

भारत में रेगिस्तान और हिमालय के कुछ ऊंचे इलाकों के अलावा, सभी क्षेत्रो में फ़्लूवियल लैंडफ़ॉर्म पाए जाते हैं।

बहते पानी के दो प्रमुख घटक होते हैं। पहला , सामान्य भूमि की सतह पर बहता हुआ जल एक शीट के रूप में प्रवाह करता हैं । दूसरी, बहता पानी धारा या नदी के रूप में रैखिक प्रवाह करता है।

नदी पूरे अपरदन चक्र (युवा, परिपक्व और वृद्धा अवस्था ) में दो प्रकार की भू-आकृतियाँ बनाती है-

  • अपरदनात्मक फ़्लूवियल स्थलाकृति 
  • निक्षेपण  फ़्लूवियल स्थलाकृति 

अधिकांश अपरदनात्मक भू-आकृतियाँ खड़ी ढालों पर युवा नदी चैनलों द्वारा बनाई जाती हैं-

नदी अपरदन से बनी स्थलाकृतियों


नदी अपरदन से बनने वाली भू-आकृतियाँ निम्नलिखित हैं:

  • घाटियाँ ( Valley)
  • जलगर्तिका (पोटहोल्स )( Potholes) और अवनमित  कुंड (प्लंज पूल)( Plunge Pools)
  • विसर्प नदी ( River's Meandering)
  • गोखुर झील ( Oxbow lake)
  • नदी वेदिकाएं ( River Terrace)
  • झरना ( Waterfall)
  • पेनेप्लेन्स(Peneplain)


घाटियाँ:

घाटियों के बनने की शुरुवात संकरी छुद्र सारिकाओं से  होती है। समय के साथ संकरी छुद्र सारिकाये धीरे-धीरे लंबी चौड़ी अवनालियों में परिवर्तित हो जाती हैं और बाद में यही अवनालिकाये गहरी और चौड़ी होकर घाटि का निर्माण करते है।

आकार के आधार पर घाटियाँ कई प्रकार की होती हैं:

  • वी के आकार की घाटी
  • गार्ज (Gorge)
  • कैनियन( Canyon)
  • यू के आकार की घाटी

गॉर्ज एक गहरी घाटी है जिसमें बहुत सीधी ढ़ाल हैं जबकि कैनियन की विशेषता खड़ी सीढ़ीदार ढलान है।


जलगर्तिका (पोटहोल्स )  और अवनमित  कुंड (प्लंज पूल):

नदी अपने चट्टानी आधार के ऊपर, गोलाकार गड्ढा बनाती है जिसे जलगर्तिका (पोटहोल्स ) कहा जाता है। जलगर्तिका (पोटहोल्स ) की एक श्रृंखला जुड़ती और गहरी होती जाती है, भू-आकृति के इस नए रूप को अवनमित  कुंड (प्लंज पूल) कहा जाता है। अवनमित  कुंड (प्लंज पूल), झरने के आधार पर झरने का जल गिरने से बनता है।

विसर्प नदी (मेन्डर्स):

कोमल ढलान वाले परिदृश्यों पर नदी चैनलों के पार्श्व कटाव के कारण, वे एक घुमावदार मार्ग विकसित करते हैं, जिसे विसर्प नदी (इनसाइड मेन्डर्स)कहा जाता है।

गोखुर झीलें:

यदि विसर्प नदी के प्रवाह का एक हिस्सा मुख्य नदी के धारा से कट जाने  बनता है। 

नदी वेदिकाएं :

नदी वेदिकाएं (रिवर टैरेस) बाढ़ के मैदान के स्तर की सतह के निशान हैं। यह ऊर्ध्वाधर कटाव(lateral erosion) से बनता है। यह नदी तल के स्तरों की संख्या को दर्शाता है।

झरना:

नदी के युवा चरण में, आमतौर पर एक झरना बनता है जहाँ कठोर चट्टानों के ऊपर नरम चट्टान की उपस्थिति होती है।

पेनेप्लेन:

पेनेप्लेन फीचर रहित मैदान हैं जो नदी के कटाव चक्र के अंतिम चरण में बनते हैं।


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