प्रश्न।
आप कुल कृषि योग्य भूमि को कैसे मापते हैं? (
( NCERT class 12, अध्याय 5: भूसंसाधन तथा कृषि , भारत लोग और अर्थव्यवस्था)
उत्तर।
वह भूमि जो कृषि कार्यों के लिए उपयुक्त और उपलब्ध हो, कृषि योग्य भूमि कहलाती है। कृषि भूमि संसाधनों के कुल भंडार को कुल कृषि योग्य भूमि के रूप में जाना जाता है।
कुल कृषि योग्य भूमि = निवल बोया गया क्षेत्र + वर्तमान परती भूमि + पुरातन परती भूमि + कृषि योग्य व्यर्थ भूमि।
निवल बोया गया क्षेत्र:
- जिन भूमि क्षेत्रों पर फसल बोई और काटी जाती है उन्हें निवल (शुद्ध) बोया गया क्षेत्र कहा जाता है।
- निवल बोया गया क्षेत्र वर्ष 1950-51 में 41.7% से बढ़कर वर्ष 2014-15 में 45.5% हो गया।
वर्तमान परती भूमि:
- वह भूमि जो एक या एक से कम कृषि वर्ष के लिए खेती के बिना छोड़ी जाती है उसे वर्तमान परती भूमि के रूप में जाना जाता है। भूमि को एक फसल के परती छोड़कर , भूमि प्राकृतिक प्रक्रियाओं के माध्यम से खोई हुई उर्वरता प्राप्त करती है।
- 1950-51 से 2014-15 तक वर्तमान परती भूमि में वृद्धि हुई है। वर्ष 1950-51 में यह कुल भूमि का 3.7% थी जबकि 2014-15 में यह बढ़कर 4.9% हो गई।
वर्तमान परती के अलावा अन्य परती( पुरातन परती भूमि ):
- वह भूमि जो एक वर्ष से अधिक लेकिन पांच वर्ष से कम समय के लिए बिना खेती के छोड़ दी जाती है, उसे "पुरातन परती भूमि " के रूप में जाना जाता है।
- वर्ष 1950-51 में रिपोर्टिंग क्षेत्रों के 6.1% से वर्ष 2014-15 में यह भूमि घटकर 3.6% हो गई।
कृषि योग्य व्यर्थ भूमि:
- वह भूमि जो पांच वर्षों से अधिक समय तक बिना खेती के छोड़ दी जाती है, कृषि योग्य व्यर्थ भूमि कहलाती है। भूमि को जोतकर और उर्वरक दे कर, इसे खेती के तहत लाया जा सकता है।
- वर्ष 1950-51 में, खेती योग्य व्यर्थ भूमि , रिपोर्टिंग क्षेत्र के 8% पर था , जबकि वर्ष 2014-15 में, यह 8% से घटकर 4% हो गया।
1950-51 में कुल कृषि भूमि 59.5% थी, जबकि गैर-कृषि गतिविधियों के लिए कृषि योग्य भूमि के हस्तांतरण के कारण यह 2014-15 में घटकर 58.0% हो गई।
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