प्रश्न।
इंदिरा गांधी नहर का कमान क्षेत्र का सिंचाई पर क्या सकारात्मक प्रभाव पड़ा ?
( NCERT class 12, अध्याय 9: भारत के सन्दर्भ में नियोजन और सततपोषणीय विकास , भारत लोग और अर्थव्यवस्था)
उत्तर।
इंदिरा गांधी नहर को राजस्थान नहर के रूप में भी जाना जाता है और यह भारत की सबसे बड़ी नहर प्रणालियों में से एक है। यह नहर परियोजना 31 मार्च 1958 को शुरू की गई थी।
यह नहर पंजाब में हरिके बैराज से निकलती है और थार रेगिस्तान में पाकिस्तान की सीमा के समानांतर बहती है। राजस्थान के थार रेगिस्तान में इसकी लंबाई लगभग 40 किमी है। इंदिरा गांधी नहर प्रणाली की कुल नियोजित लंबाई लगभग 9060 किमी है।
नहर प्रणाली को दो चरणों में पूरी की गई थी -
- पहले चरण में, गंगासागर, हनुमानगढ़ और बीकानेर जिलों के उत्तरी भाग को कवर किया था , जिसमें खेती योग्य कमान क्षेत्र लगभग 5.53 लाख हेक्टेयर है।
- दूसरे चरण में,नहर का विस्तार बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, नागौर और चुरू जिलों में 14.10 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य क्षेत्रों में पुरा किया गया।
- प्रथम चरण के कमांड क्षेत्रों में 1960 के दशक में सिंचाई शुरू की गई थी जबकि चरण- II के कमांड क्षेत्रों में 1980 के दशक के मध्य में सिंचाई शुरू हुई थी।
इंदिरा गांधी नहर कमान क्षेत्रों पर सिंचाई के सकारात्मक प्रभाव;
- शुष्क क्षेत्रों में सिंचाई की शुरूआत ने इन क्षेत्रों में पारिस्थितिकी, अर्थव्यवस्था और समाज में सकारात्मक विकास हुआ है।
- इंदिरा गांधी नहर क्षेत्र में कृषि और पशुधन उत्पादन में काफी बढ़ोतरी हुई है।
- नहर ने लंबी अवधि के लिए मिट्टी की नमी की उपलब्धता प्रदान की जिससे वनीकरण और चरागाह भूमि में बृद्धि हुई।
- नहर सिंचाई के प्रसार से खेती वाले क्षेत्रों और फसल की गहनता में वृद्धि हुई है।
- चना, बाजरा और ज्वार जैसी फसलों की जगह किसान गेहूं, कपास, मूंगफली और चावल जैसे अधिक उत्पादक वाले फसल उगाने लगे।
- जल की उपलब्धता के कारण कृषि के आलावा आर्थिक के नए अवसर जैसे नए उद्योग भी यहाँ पे स्थापित हुए है।
सकारात्मक प्रभाव के आलावा, गहन सिंचाई और पानी के अत्यधिक उपयोग से जलभराव और मिट्टी की लवणता के दोहरे पर्यावरणीय समस्या उत्पन्न हो गयी है।
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