प्रश्न।
जल-संभर प्रबंधन क्या है? क्या आप सोचते हैं कि यह सतत पोषणीय विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है?
( NCERT class 12, अध्याय 6: जल संसाधन , भारत लोग और अर्थव्यवस्था)
उत्तर।
व्यापक अर्थों में, जल-संभर प्रबंधन में सभी संसाधनों का संरक्षण, पुनरुत्पादन, और विवेकपूर्ण उपयोग को शामिल है जिसमे प्राकृतिक संसाधन (भूमि, जल, पौधे, पशु) और मानवीय संसाधन शामिल हैं।
एक संकीर्ण अर्थ में, जल-संभर प्रबंधन मूल रूप से जल प्रबंधन तकनीक है जो सतही और भूजल के कुशल प्रबंधन और संरक्षण का कुशल प्रबंधन से है।
जल-संभर प्रबंधन में निम्नलिखित कार्य शामिल हैं:
- रोधी बांध , बांध, तालाब आदि के माध्यम से सतही जल अपवाह को रोकना और भंडारण करना शामिल हैं।
- विभिन्न तरीकों से भूजल का पुनर्भरण करना जैसे रिसाव टैंक, पुनर्भरण कुआं आदि को बनाना।
जल-संभर प्रबंधन की सफलता काफी हद तक सामुदायिक भागीदारी पर निर्भर करती है।
कुछ महत्वपूर्ण जल-संभर प्रबंधन परियोजनाएं हैं जो भारत के विभिन्न भाग में चलाए गए है -
- केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित "हरियाली" जल-संभर प्रबंधन परियोजना ।
- आंध्र प्रदेश में नीरू-मीरू (जल और आप) जल-संभर प्रबंधन परियोजना।
- अरवारी पानी संसद , आंध्र प्रदेश में जल-संभर प्रबंधन परियोजना।
हां, जलसंभर प्रबंधन सतत विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है;
- जल-संभर प्रबंधन से ग्रामीण आबादी को सिंचाई, मत्स्य पालन और वनीकरण के लिए जल उपलब्ध करता है जिससे वहा आर्थिक विकास के साथ साथ वहां पर्यावरण और लोगो का विकास शामिल है।
- चूंकि जलसंभर प्रबंधन में प्रायः जल संसाधनों का संरक्षण , विवेकपूर्ण उपयोग , और पर्याप्त उपलब्धता कराना शामिल है जो प्रकितिक संसाधनों और समाज के बीच संतुलन स्थापित करता हैं।
- जलसंभर प्रबंधन से सतत विकास के तीनो अवयव - अर्थव्यवस्था , पर्यावरण, और जनता (लोग) का संतुलित विकास में मदत करता हैं।
इस प्रकार जल-संभर प्रबंधन सतत पोषणीय विकास में मदत करता हैं।
You may like also:
ConversionConversion EmoticonEmoticon