प्रश्न।
शुष्क कृषि तथा आर्द्र कृषि में क्या अंतर है?
( NCERT class 12, अध्याय 5: भूसंसाधन तथा कृषि , भारत लोग और अर्थव्यवस्था)
उत्तर।
फसलों के लिए मृदा में नमी के मुख्य स्रोत के आधार पर खेती को दो प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है-सिंचित कृषि और वर्षा निर्भर (बारानी )।
फसल के मौसम के दौरान मिट्टी की नमी की पर्याप्तता के आधार पर बारानी ( वर्षा निर्भर) खेती को दो प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है-शुष्क भूमि कृषि तथा आर्द्र भूमि कृषि।
शुष्क भूमि और आर्द्रभूमि कृषि के बीच निम्नलिखित अंतर हैं:
- भारत में, शुष्क भूमि की खेती प्रायः 75 सेमी से कम वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों में की जाती है, जबकि आर्द्रभूमि की खेती 75 सेमी से अधिक वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों में की जाती है।
- शुष्क भूमि वाले कृषि क्षेत्र को सूखे की समस्या का सामना करना पड़ा क्योकि इन क्षेत्रो में वर्षा ऋतु में भी मृदा में नमी की कमी होती है जबकि आर्द्रभूमि कृषि क्षेत्र को बाढ़ और मिट्टी के कटाव की समस्याओं का सामना करना पड़ता है क्योकि वर्षा ऋतु में मृदा में जल की अधिकता होती है।
- शुष्क भूमि वाले कृषि क्षेत्र में वर्षा ऋतु में भी आर्द्र संरक्षण और वर्षा जल के कुशल प्रयोग के अनेक विधियाँ अपनायी जाती है जबकि आर्द्रभूमि कृषि क्षेत्र में इसकी आवश्यकता नहीं पड़ती है।
- शुष्क भूमि के महत्वपूर्ण क्षेत्र गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना और तमिलनाडु के वर्षा छाया क्षेत्र हैं, जबकि बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल आदि में आर्द्रभूमि खेती के महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं।
- शुष्क भूमि पर रागी जैसी मोटे और सूखा प्रतिरोधी फसलें उगाई जाती हैं जबकि आर्द्रभूमि की खेती में धान और जूट जैसी विभिन्न जल-गहन और महीन फसलें उगाई जाती हैं।
- शुष्क भूमि की खेती की महत्वपूर्ण फसलें रागी, बाजरा, मूंग, चना और ग्वार (चारा फसलें) हैं जबकि चावल, जूट और गन्ना आर्द्रभूमि खेती में प्रचलित फसले हैं।
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