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भारत में नगरीय अपशिष्ट निपटान से जुड़ी प्रमुख समस्याओं का उल्लेख कीजिए।

 प्रश्न। 

भारत में नगरीय अपशिष्ट निपटान से जुड़ी प्रमुख समस्याओं का उल्लेख कीजिए।

( NCERT class 12, अध्याय 12:  भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएं  , भारत लोग और अर्थव्यवस्था)

उत्तर। 

अपशिष्ट वे वस्तुए है जिनकी उपयोगिता के बाद कचरे में फेंक दिया जाता है। अपशिष्ट वस्तुए में विभिन्न प्रकार की चीजें शामिल होती हैं जैसे कि धातु के छोटे टुकड़े, टूटे हुए कांच के बने पदार्थ, कंटेनर, पॉलिथीन बैग, राख, फ्लॉपी, सीडी, बिजली और इलेक्ट्रॉनिक कचरे जैसे प्लास्टिक के सामान आदि।

आजकल अपशिष्ट उत्पादन और अपशिष्ट निपटान भारत में एक बड़ी चुनौती और चिंता का विषय है इसका मुख्य कारण विशाल आबादी, हमारी जीवन शैली और उपभोग के पैटर्न में बदलाव, और उद्योगों और शहरी बस्तियों के विशाल विस्तार है।

अधिकांश नगरीय अपशिष्ट ( घरो के कचरे और औद्योगिक कचरे) का निपटान या तो सार्वजनिक भूमि पर या निजी स्थलों पर किया जाता है।  नगरपालिका इन अपशिष्ट को एकत्र करता है और अपनी सुविधाओं के अनुसार निचले सार्वजनिक मैदानों में निपटाया जाता है जिसे लैंडफिल क्षेत्र कहा जाता है।


भारत में नगरीय अपशिष्ट निपटान से जुड़ी प्रमुख समस्याएं निम्नलिखित हैं:

 उद्योगों, थर्मल पावर, निर्माण सामग्री और विध्वंस से राख के मलबे की विशाल ढेर ने अधिकारियों द्वारा समय पर एकत्र करने और निपटान करना एक गंभीर समस्या है। क्योकि इसको निपटाने के लिए जगह , लोग, और मशीन की कमी देखने को मिलती हैं। 

अनुमान के अनुसार, लगभग 90% ठोस कचरा मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों में एकत्र और निपटाया जाता है; इन बड़े शहरों के अलावा, देश के अधिकांश शहरों और कस्बों के लगभग 30 से 35 प्रतिशत कचरा को एकत्र नहीं किया जाता है और ये कचरे खुली सड़क, घरों के बीच की जगह और बंजर भूमि में छोड़ दिया जाता है। असंग्रहीत कचरा और शहरी निपटान के लिए आधुनिक तकनीक की अनुपस्थिति कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनती है।

शहरी कचरे की विशाल ढ़ेर के कारण निपटान स्थलों (लैंडफिल) की कमी हो जाती है क्योंकि अधिकांश लैंडफिल पहले ही अपने संचय की क्षमता से ऊपर आ चुके हैं।

अपशिष्ट आसपास के लैंडफिल क्षेत्रों के साथ-साथ कूड़ेदान क्षेत्रों में दुर्गंध पैदा करता है और वे वायु प्रदूषण पैदा करते हैं।

डिस्पोजल साइट और डस्टबिन क्षेत्र कई बीमारियों को ले जाने वाली मक्खियों और कृन्तकों को आश्रय देते हैं जो मलेरिया, हैजा, टाइफाइड, डायरिया आदि जैसे रोगों के वाहक के रूप में कार्य करते हैं।

हवा और बारिश के पानी , कचरे को बिखेर देता है औरइसके कारण सतही वर्षा जल नदियों, झीलों आदि को प्रदूषित करता हैं ।

लैंडफिल में अपशिष्ट के सड़ने से निकलने वाले रसायन जब लीचिंग से भूमिगत होता है तो वहां के आस पास के भूजल को प्रदूषित करता है।

शहरी कचरे को नदी में जाने से नदी प्रदूषण होता है।

नदियों में अनुपचारित सीवेज बहाने से नीचे के लोगों और पर्यावरण के लिए कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है।

अनुपचारित अपशिष्ट धीरे-धीरे किण्वन होता हैं और वातावरण में मीथेन जैसे जहरीले बायोगैस छोड़ते हैं।


भारत में शहरी अपशिष्ट निपटान को हल करने का तरीका:

शहरी कचरे को एक संसाधन के रूप में माना जाना चाहिए और ऊर्जा पैदा करने और अन्य उपयोग के लिए उपयोग किया जाना चाहिए। 

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