प्रश्न।
वे कौन से भौतिक एवं सामाजिक कारक हैं, जो विभिन्न प्रदेशों में प्राथमिक क्रियाओं के प्रकार को निर्धारित करते हैं?
( कक्षा 12: मानव भूगोल के मूल सिद्धांत, अध्याय 5 प्राथमिक क्रियाएं)
उत्तर।
प्राथमिक गतिविधियाँ वे गतिविधियाँ हैं जो सीधे पर्यावरण पर निर्भर होते हैं। कुछ प्राथमिक गतिविधियाँ का उदाहरण - मछली पकड़ना, वानिकी, कृषि ,और खनन हैं।
दुनिया के विभिन्न प्रदेश में प्रचलित भौतिक और सामाजिक कारकों के आधार पर विभिन्न प्रकार की प्राथमिक क्रियाये करते हैं।
प्राथमिक गतिविधियों को प्रभावित करने वाले भौतिक कारक निम्नलिखित हैं:
- जलवायु- तापमान और वर्षा जलवायु के दो प्रमुख कारक है ।
- उच्चावच -मैदान, पठार और पहाड़ी क्षेत्र।
- मिट्टी-उर्वरता और मृदा की गहराई।
- सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता।
निम्नलिखित सामाजिक कारक हैं जो प्राथमिक गतिविधियों को प्रभावित करते हैं:
- भूमि आदि के अधिकार का नियम या प्रणाली। भूमि स्वामित्व में सामाजिक स्वामित्व, व्यक्तिगत स्वामित्व , और सामूहिक श्रम का स्वामित्व शामिल हैं।
- परिवहन, सिंचाई और भंडारण सुविधाओं जैसे उपलब्ध बुनियादी ढांचे।
- प्राथमिक गतिविधियों के संबंध में सरकार की नीति।
- समाज में प्राथमिक गतिविधियों के संबंध में आर्थिक और तकनीकी विकास का स्तर।
- भोजन, उद्योग, चारा आदि के लिए समाज की आवश्यकता।
- प्राथमिक गतिविधियों में संलग्न जनसंख्या का हिस्सा।
रेगिस्तानी क्षेत्र में भौतिक कारक कृषि गतिविधियों की अनुमति नहीं देते हैं क्योंकि रेगिस्तानी क्षेत्र में पानी की कमी होती है। मरुस्थलीय क्षेत्र में पशुपालन, एकत्रीकरण , और खनन मुख्य प्राथमिक गतिविधियाँ हैं।
मैदानी क्षेत्र के भौतिक कारक इस क्षेत्र को कृषि गतिविधियों के लिए सबसे उपयुक्त बनाते हैं क्योंकि इस क्षेत्र में समतल भूमि के साथ साथ उपजाऊ मिट्टी, और सतह और भूजल की प्रचुरता होती है। मैदानी क्षेत्र में भी जहां उच्च सामाजिक-आर्थिक विकास होता है (जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा के प्रेयरी क्षेत्र में ) मशीनीकृत और वाणिज्यिक खेती होती है जबकि एशिया और अफ्रीका जैसे निम्न स्तर के सामाजिक-आर्थिक विकास वाले मैदानी क्षेत्र में निर्वाह गहन खेती होती है।
पठारी क्षेत्र में उपजाऊ मिट्टी का अभाव होता है। पठारी क्षेत्र में जल संसाधन वर्षा ऋतु में ही उपलब्ध होते हैं। यदि पठारी क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध नहीं है, तो निर्वाह कृषि केवल वर्षा ऋतु में ही की जा सकती है। पठारी क्षेत्र की प्राथमिक गतिविधियाँ ज्यादातर खनन हैं क्योंकि पठार खनिज भंडार से समृद्ध है।
पहाड़ी क्षेत्र जहां वर्षा पर्याप्त मात्रा में होती है वहा पर झूम खेती की जाती है। इस क्षेत्र में मुख्यतः जनजातियों रहते हैं और जनजातियों के बीच सामाजिक-आर्थिक विकास का निम्न स्तर होने तथा जमीन की पर्याप्त उपलब्धता होने से यहाँ झूम खेती की जाती है।
तटीय क्षेत्रों में मछली पकड़ना मुख्य क्रिया है क्योंकि यहाँ समुद्री जल आसानी से प्राप्त होता है जो समुद्री मछलियों का घर है।
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