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भू-निम्नीकरण को कम करने के उपाय सुझाए।

 प्रश्न। 

 भू-निम्नीकरण को कम करने के उपाय सुझाए। 

( NCERT class 12, अध्याय 12:  भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएं  , भारत लोग और अर्थव्यवस्था)

उत्तर। 

कृषि भूमि की गुणवत्ता में गिरावट को भूमि क्षरण या भू-निम्नीकरण कहा जाता है। भूमि निम्नीकरण से भूमि की उत्पादक क्षमता में अस्थायी या स्थायी गिरावट आती है।

भूमि संसाधनों के अंधाधुंध दोहन से भूमि का क्षरण होता है। भूमि के संरक्षण और प्रबंधन के लिए उचित उपाय किए बिना लंबे समय तक भूमि के निरंतर उपयोग के परिणामस्वरूप भूमि का क्षरण होता है।

मिट्टी का कटाव, जलभराव, लवणीकरण, क्षारीयता और लंबे समय तक एक ही फसल उगाना भू-निम्नीकरण के मुख्य कारण है। भूमि क्षरण को कम न करने से अच्छी भूमि को बंजर भूमि में परिवर्तित हो जाती है।


भूमि निम्नीकरण को कम करने के उपाय निम्नलिखित हैं:

कुछ मानवीय गतिविधियाँ जैसे वनों की कटाई, अत्यधिक चराई, खनन और उत्खनन गतिविधियाँ भू-निम्नीकरण के लिए ज़्यदातर उत्तरदायी हैं ; इन गतिविधियों की पहचान कर और उसपे नियंत्रण करने से भू-निम्नीकरण कम होगा। 

वनरोपण और आश्रय पेटियों का रोपण, और रेत के टीलों को स्थिर करने से भूमि निम्नीकरण में कमी आएगी।

बारानी क्षेत्रों में गहन सिंचाई पद्धतियों से भूमि में  जलभराव होता हैं  जिससे मृदा में लवणता बढ़ जाती है जो भू-निम्नीकरण का कारण होती हैं। पंजाब और हरियाणा में सघन सिंचाई और जलभराव के कारण भूमि का क्षरण हो रहा है। इन क्षेत्रो में ड्रिप तथा स्प्रिंकल सिंचाई की पद्तियो की जरुरत है तथा कम जल में उगने वाली फसलों को उगाने से भू-निम्नीकरण की समस्या को कम किया जा सकता हैं। 

कुछ खनिज प्रसंस्करण उद्योगों जैसे चूना पत्थर की पिसाई, सीमेंट उद्योग और ताप विद्युत संयंत्रों से भारी धूल उत्पन्न उत्पन्न होता है जो भूमि को खराब कर देती है। धूल उत्सर्जन को कम करने के लिए नवीनतम तकनीक का उपयोग करने से भूमि का क्षरण कम होगा।

औद्योगिक कचरे के उचित निपटान और जल प्रदूषण को कम करने से भूमि का क्षरण कम होगा।

वाटरशेड प्रबंधन भूमि, पानी और वनस्पति की गुणवत्ता में सुधार करता है और लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करता है। मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में वाटरशेड प्रबंधन ने भूमि की गुणवत्ता में सुधार किया है।

चारागाह और बंजर भूमि पर चारा घास लगाना से भू-निम्नीकरण कम होगा ।

कई वर्षो से खेत में एक ही प्रकार की फसल उगाने से भूमि में चयनित पोषक तत्वों की कमी हो जाती है जो भू-निम्नीकरण का कारण बनती है इससे बचना चाहिए।

रेतीली मिट्टी में कंटीली झाड़ियाँ उगाने से मरुस्थलीकरण से भूमि के क्षरण होने से बचाया जा सकता है।

उर्वरक और रासायनिक कीटनाशकों के बजाय वनस्पति व् जैविक खाद और जैव-कीटनाशकों का उपयोग करने से मिट्टी की उर्वरता समृद्ध होगी तथा भू-निम्नीकरण नहीं होगा। 

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