प्रश्न ।
समय के गलियारों के साथ मानव भूगोल के विकास का विवरण दीजिए।
( कक्षा 12: मानव भूगोल के मूल सिद्धांत, अध्याय 1 मानव भूगोल-प्रकृति एवं विषय क्षेत्र)
उत्तर।
जैसा कि हम जानते हैं, मानव भूगोल भौतिक पर्यावरण और मनुष्यों के बीच संबंधों का अध्ययन है।
मनुष्य ने शुरू से ही भौतिक वातावरण के साथ अंतःक्रिया करना शुरू कर दिया था। इसलिए, मानव भूगोल के विकास की जड़ें मानव इतिहास की सुरुवात से ही जुडी हुई हैं। मानव भूगोल के विकास के बारे में व्यापक दृष्टिकोण निम्नलिखित हैं:-
औपनिवेशिक काल से पहले का समय [1600 ई से पहले ]:
भूगोल में नियतिवाद विचार औपनिवेशिक काल से पहले उभरा। इस युग में मनुष्य और पर्यावरणीय था और पर्यावरण के नियमों को पूर्णता से पालन करता था।
प्रारंभिक औपनिवेशिक काल [1600 ई.-1800 ई.]:
साम्राज्यवादी और व्यापारिक हितों के कारण, नए क्षेत्रों की खोज की गई जिससे भूगोल के विकास में बहुत उत्साह आया।
बाद के औपनिवेशिक काल:
भूगोल में क्षेत्रीय विश्लेषण का उदय हुआ। भूगोल में प्रदेश (पृथ्वी का हिस्सा) के अध्ययन को महत्व दिया गया था। यह माना जाता था कि पृथ्वी के हिस्से ( प्रदेश ) को समझने से संपूर्ण पृथ्वी) को समझने में मदद मिलेगी।
1930 के दशक - विश्व युद्ध की अवधि:
इस युग में क्षेत्रीय विभेदन की अवधारणा सामने आई थी। अमेरिकी भूगोलवेत्ता, रिचर्ड हार्टशोर्न भूगोल में क्षेत्रीय विभेदन अवधारणा के मुख्य प्रतिपादक थे। क्षेत्रीय विभेदन के अंतर्गत किसी भी क्षेत्र की विशिष्टता की पहचान करने और यह समझने पर भी ध्यान दिया जाता था कि यह अन्य क्षेत्रों से कैसे और क्यों भिन्न है।
1950 के दशक के अंत से 1960 के दशक के अंत तक:
भूगोल में स्थानिक संगठन की अवधारणा का उदय हुआ। इस काल में भूगोल में मात्रात्मक क्रांति का उदय हुआ। मानवीय घटनाओं का मानचित्रण और विश्लेषण करने के लिए सांख्यिकीय उपकरणों, कंप्यूटरों, भौतिकी के नियमों और अन्य परिष्कृत उपकरणों के उपयोग पर जोर दिया गया। मुख्य उद्देश्य विभिन्न मानवीय गतिविधियों के लिए मैप करने योग्य पैटर्न की पहचान करना था।
1970 के दशक:
मात्रात्मक क्रांति और भूगोल करने के अमानवीय तरीके से असंतोष के कारण, भूगोल में नए दृष्टिकोण जैसे कि मानवतावादी, आमूलवादी (रेडिकल ) और व्यहवारवादी विचार का उदय हुआ।
भूगोल के मानवतावादी विचारधारा ने भूगोल में लोगों के सामाजिक कल्याण के अध्ययन पर जोर देता है। भूगोल में आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि के अध्ययन पर बल दिया गया।
भूगोल में आमूलवादी ( रेडिकल) विचारधारा मार्क्सवादी दर्शन पर आधारित है। गरीबी और सामाजिक असमानता का मूल कारण पूंजीवाद से जुड़ा है। इसने भूगोल में अध्ययन के समाजवाद पहलू पर जोर दिया।
भूगोल में व्यहवारवादी विचारधारा , दोनों प्रत्यक्ष ( जीवित) अनुभव और अप्रत्यक्ष वोध [मानसिक मानचित्र भूगोल] की भूमिका पर जोर देता है। भूगोल में अप्रत्यक्ष वोध [मानसिक मानचित्र भूगोल] सामाजिक श्रेणियों जैसे जातीयता, जाति, धर्म, आदि के आधार पर मानव से मानव में भिन्न होती है।
1990 के दशक:
1990 के दशक के बाद, भूगोल में उत्तर-आधुनिकतावाद शुरू हुआ। मानव स्थितियों की व्याख्या करने के लिए सार्वभौमिक सिद्धांतों के सामान्यीकरण और प्रयोज्यता का विरोध किया । प्रत्येक स्थानीय संदर्भ को अपने आप में समझने को महत्व दिया गया।
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