प्रश्न।
भारत की खाद्य सुरक्षा, इसकी आवश्यकता और इसके प्रयासों पर एक वाद-विवाद आयोजित कीजिए।
( अध्याय - 4-कृषि, कक्षा X NCERT समकालीन भारत-2 )
उत्तर।
खाद्य सुरक्षा का अर्थ है पूरे वर्ष सभी आबादी के लिए पर्याप्त भोजन की उपलब्धता और पहुंच। हरित क्रांति की सफलता के बाद, भारत में सभी आबादी के लिए पर्याप्त खाद्यान्न तो है जो पूरे वर्ष की आवश्यकता को पूरा कर सकता है, लेकिन सभी जनसख्या के पास पर्याप्त भोजन की सामर्थ्यता और पहुँचता में अभी भी समस्याएं हैं।
अभी भी भारत के बड़ी आबादी के पास इतनी क्रय शक्ति नहीं है जिससे पर्याप्त भोजन को खरीद सके। इसके आलावा कभी कभी परिवहन समस्या जैसी विभिन्न बाधाओं के कारण, भारतीय आबादी का एक बड़ा हिस्सा भोजन की कमी का सामना करता है और वे अपने परिवार के लिए पर्याप्त भोजन प्राप्त करने में सक्षम नहीं होते हैं।
भारत में खाद्य सुरक्षा की आवश्यकताएँ:
भारत में खाद्य सुरक्षा विभिन्न कारणों से अत्यंत आवश्यक है। भोजन मनुष्य के लिए ऊर्जा का मूल स्रोत है। जिस देश के ज्यादातर लोग भूखे हो वो देश प्रगति नहीं कर सकता। अतः देश के विकास के लिए खाद्य सुरक्षा बहुत जरुरी है।
स्वस्थ मानव विकास और लंबे समय में देशों के सतत विकास के लिए खाद्य सुरक्षा की बहुत आवश्यकता है।
ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2022 के अनुसार, जिसे वर्ल्डवाइड और वेल्थहंगरलाइफ द्वारा संयुक्त रूप से जारी किया गया है, भारत 121 देशों में से 107वें स्थान पर है। यह इंगित करता है कि भारत में खाद्य सुरक्षा का निम्न स्तर है।
यूनाइटेड नेशनल डेवलपमेंट प्रोग्राम (यूएनडीपी) द्वारा जारी मानव विकास सूचकांक 2022 के अनुसार, भारत 191 देशों में 132वें स्थान पर है।
दोनों सूचकांकों में भारत खाद्य सुरक्षा हासिल कर बेहतर प्रदर्शन कर सकता है।
दोनों सूचकांकों में बेहतर प्रदर्शन के अलावा भारत खाद्य सुरक्षा को प्राप्त करके तेजी से आर्थिक विकास हासिल कर सकता है।
भारत में खाद्य सुरक्षा के प्रयास:
खाद्य सुरक्षा के तीन प्रमुख स्तंभ हैं:
- पर्याप्त खाद्यान्न भंडार
- जनता के लिए खाद्यान्न की पहुँचता
- खाद्य खरीदने की सामर्थ्य
भारत में सभी आबादी के लिए पर्याप्त खाद्यान्न है, हालांकि, भारत में खाद्य सुरक्षा हासिल करने के लिए भारत को पहुँचता और सामर्थ्य के स्तंभ पर काम करना होगा।
भारत में पहले से ही गरीब आबादी के लिए अनाज को सुलभ और वहनीय बनाने के लिए कुछ प्रणालियाँ हैं, कुछ योजनाएँ हैं:
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली; पीडीएस प्रणाली के तहत, सरकार गरीब आबादी को चावल और गेहूं जैसे खाद्यान्न नाममात्र की दर (रुपये 1) पर उपलब्ध कराती है।
- बच्चों को मध्याह्न भोजन।
- एकीकृत बाल विकास कार्यक्रम के तहत बच्चों और माताओं के लिए भोजन।
हालांकि, उपरोक्त प्रणाली में भ्रष्टाचार और अक्षमता बड़ी आबादी को भोजन की पहुंच और सामर्थ्य में ज्यादा परिणाम नहीं दे रही है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस), मध्यान्ह भोजन और एकीकृत बाल विकास कार्यक्रम को और अधिक कुशल बनाने की आवश्यकता है।
हमारे मेहनती किसानों के लाभ को नुकसान पहुंचाए बिना आबादी के लिए सस्ती खाद्यान्न की भी आवश्यकता है।
इस तरह हम खाद्य सुरक्षा प्राप्त करके अपने महान देश को और महान और विकसित बना सकते है।
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