प्रश्न।
भारत में विभिन्न समुदायों ने किस प्रकार वनों और वन्य जीव संरक्षण और रक्षण में योगदान किया है?
( अध्याय - 2- वन एवं वन्य जीव संसाधन, कक्षा X NCERT समकालीन भारत-2 )
उत्तर।
वन कई पारंपरिक समुदायों, विशेषकर आदिवासी समुदायों का घर होता हैं और उनका ज्यादातर जरुरत वन और वनप्राणी से प्राप्त होते है। इस लिए स्थानीय समुदायों ने अतीत में वन्य जीव संरक्षण और रक्षण के लिए कई प्रयास किए हैं और कर रहे हैं।
निम्नलिखित प्रकार से समुदायों ने भारत में वनों और वन्यजीवों का संरक्षण और रक्षण किया है:
राजस्थान के सरिस्का टाइगर रिजर्व को संरक्षण करने के लिए वहां के ग्रामीण समुदाय ने वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 का हवाला देकर खनन के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। खनन को रोक कर के सरिस्का टाइगर रिजर्व का रक्षण किया था।
राजस्थान में ही , अलवर जिले के पांच गांवों के समुदायों ने 1,200 हेक्टेयर जंगल को भैरोदेव डाकव 'सोनचुरी' घोषित किया था, और इसके रक्षण और संरक्षण के लिए अपने नियमों और विनियमों की घोषणा किया था जो किसी भी लोगो को वन्यजीवों के शिकार और रक्षा की अनुमति नहीं देते हैं।
हिमालय (उत्तराखंड) में प्रसिद्ध चिपको आंदोलन की शुरुवात 1973 में हुई थी जो वहां के महिला समुदाय द्वारा चलाया गया था। इस आंदोनल ने न केवल कई क्षेत्रों में वनों की कटाई का सफलतापूर्वक विरोध किया है, बल्कि सामुदायिक वनरोपण भी किया और स्वदेशी प्रजातियां वाले वृक्षों का रोपण किया।
1980 के दशक टिहरी उत्तराखंड में बीज बचाओ आंदोलन वहां के किसानों और नागरिक समुदायों द्वारा चलाया गया था जो सिंथेटिक रसायनों के उपयोग के उपयोग का विरोध किया था और पारम्परिक बीज के बचाव का समर्थन किया था।
कई समुदाय प्रकृति की पूजा करके उन्होंने जंगल और पेड़ों को संरक्षित किया है। उदाहरण के लिए, छोटा नागपुर के मुंडा और संथाल महुआ के पेड़ों की पूजा करते हैं और उन्हें संरक्षित करते हैं। भारत में कई समुदाय पीपल, बरगद और आम के पेड़ों की पूजा करते हैं; और उन्हें नुकसान से बचाएं हैं।
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