प्रश्न।
हमारे लिए अधिक मात्रा में धागे का निर्यात की अपेक्षा अपने बुनाई क्षेत्र को सुधारना क्यों आवश्यक है?
( अध्याय - 6 विनिर्माण उद्योग , कक्षा X NCERT समकालीन भारत-2 )
उत्तर।
कपास से वस्त्र उत्पादन के प्रकिया के आम तौर पर तीन उप-क्षेत्र होते हैं:
- कताई क्षेत्र जो कपास के रेशों से धागे का उत्पादन करता है।
- बुनाई क्षेत्र जो धागे से कपड़े का उत्पादन करता हैं।
- परिधान [ गारमेंट्स ] क्षेत्र जो कपड़े से तरह तरह का वस्त्रों का उत्पादन करता हैं।
धागे कपड़े की तुलना में कम मूल्य का सूती माल है क्योंकि धागे कच्चे रेशों की कताई द्वारा प्राप्त किया जाता है जबकि कपड़ा धागे की बुनाई से प्राप्त किया जाता है।
हमारी कताई मिलें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी हैं और हमारे द्वारा उत्पादित सभी कपास फाइबर का उपयोग करने में भी सक्षम हैं। यही कारण है, भारत जापान, अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, फ्रांस, नेपाल, श्रीलंका और अफ्रीकी देशों जैसे कई देशों को अच्छी गुणवत्ता वाले धागे का निर्यात करता है।
हालांकि, बुनाई क्षेत्र भारत में कमजोर है और हमारी बुनाई क्षेत्र की मशीने अच्छी नहीं है और इनसे कपडे बनाने में अधिक लागत आती है। हमारी बुनाई क्षेत्र उच्च गुणवत्ता वाले धागे का उपयोग नहीं कर पा रहा हैं, इसी कारण से अच्छी गुणवत्ता कपड़े का उत्पादन करने में भी सक्षम नहीं हैं जिसको हम अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेंच सके। भारत में बुनाई क्षेत्र प्रकृति में खंडित है। बुनाई क्षेत्र में अधिकांश उत्पादन छोटी इकाइयां हैं, जो केवल स्थानीय बाजार की मांग को पूरा करती हैं।
नतीजतन, एक तरफ हम धागे को निर्यात कर देते हैं और दूसरे तरफ वस्त्र बनाने के लिए कपड़े का आयात करना पड़ता है।
यदि हम धागे के स्थान पर कपड़ा और वस्त्र निर्यात करते हैं तो हमें अधिक विदेशी धन प्राप्त होगा और विदेशी मुद्रा के अतिरिक्त हम बुनाई उद्योग में अधिक रोजगार भी सृजित कर सकेंगे। इसलिए हमारे लिए जरूरी है कि हम बड़ी मात्रा में धागे का निर्यात करने के बजाय अपने बुनाई क्षेत्र में सुधार करें।
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