प्रश्न।
काली मृदाएं किन्हे कहते हैं? इनके निर्माण तथा विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
(अध्याय 6 मृदा , कक्षा 11 NCERT भूगोल "भारत भौतिक पर्यावरण")
उत्तर।
काली मृदा को 'रेगुर मृदा' या 'काली कपास की मृदा' भी कहा जाता है। विश्व के मृदा वर्गीकरण में काली मिट्टी चेर्नोज़म मृदा के अंतर्गत आती है। काली मिट्टी का रंग काला होता है और आमतौर पर यह चिकनी( महीन कण ), गहरी और अभेद्य होती है।
काला रंग मृदा में आयरन, मैग्नीशियम और एल्यूमिना की उपस्थिति के कारण आता है। काला रंग मृदा में जैविक कार्बन के उपस्थिति के कारण भी होता हैं। काली मृदा का रंग गहरे काले से लेकर ग्रे तक होता है।
काली मृदा का भौगोलिक वितरण;
काली मिट्टी दक्कन के अधिकांश पठार और गोदावरी और कृष्णा नदी घाटी की ऊपरी पहुंच को कवर करती है।
काली मिट्टी महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में पाई जाती है।
गोदावरी और कृष्णा घाटियों के ऊपरी भाग के साथ-साथ दक्कन के पठार के उत्तर-पश्चिमी भाग में काली मिट्टी गहरी है।
काली मृदा का निर्माण;
काली मिट्टी दक्कन के पठार में मौजूद बेसाल्टिक चट्टानों के अपक्षय के बाद बनती है। बेसाल्टिक चट्टानें ज्वालामुखी शैल हैं। इसलिए, ज्वालामुखीय बेसाल्टिक चट्टानों से काली मिट्टी का निर्माण होता है।
काली मृदा की विशेषताएं;
काली मृदा आमतौर पर चिकनी( महीन कण ), गहरी और अभेद्य होती है।
बरसात के मौसम में यह चिपचिपा हो जाता है और मुलायम जाता है। शुष्क मौसम के दौरान, मिट्टी में चौड़ी दरारें विकसित हो जाती हैं। इस प्रकार की मिट्टी को "स्व-जुताई" कहा जाता है।
नमी के धीमे अवशोषण और नमी की धीमी ह्रास के कारण काली मिट्टी बहुत लंबे समय तक नमी बनाए रखती है। लंबे समय तक नमी बनाए रखने वाली गुण के कारण, शुष्क मौसम के दौरान बारानी क्षेत्र में भी, यह फसलों को उगाने में मदद करता है।
काली मिट्टी की रासायनिक संरचना चूना, लोहा, मैग्नेशिया और एल्यूमिना से भरपूर होती है। काली मिट्टी में पोटाश भी होता है लेकिन इसमें फास्फोरस, नाइट्रोजन और कार्बनिक पदार्थों की कमी होती है।
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