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ऊर्जा के पारंपरिक और गैर-पारंपरिक स्रोतों के बीच स्पष्ट कीजिए।

 प्रश्न।  

ऊर्जा के पारंपरिक और गैर-पारंपरिक स्रोतों के बीच स्पष्ट कीजिए।

( अध्याय - 5 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन , कक्षा  X NCERT समकालीन भारत-2 )

( अध्याय - 3 खनिज और शक्ति संसाधन  , कक्षा  8 NCERT संसाधन एवं विकास (भूगोल) )

उत्तर।

ऊर्जा सभी गतिविधियों के लिए आवश्यक है और यह विकास की कुंजी है।

ऊर्जा संसाधनों को ऊर्जा के पारंपरिक और गैर-पारंपरिक स्रोतों के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।


ऊर्जा के पारंपरिक और गैर-पारंपरिक स्रोतों के बीच निम्नलिखित अंतर हैं:


ऊर्जा के पारंपरिक स्रोतों के उदाहरण जलाऊ लकड़ी, गोबर के उपले, कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, पनबिजली ऊर्जा और तापीय ऊर्जा हैं जबकि ऊर्जा के गैर-पारंपरिक स्रोत सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा और बायोगैस हैं।


ऊर्जा के पारंपरिक स्रोत काफी हद तक ऊर्जा के प्रदूषणकारी स्रोत हैं जबकि ऊर्जा के गैर-पारंपरिक स्रोत ज्यादा प्रदूषणकारी नहीं हैं।


ऊर्जा के पारंपरिक स्रोत प्रकृति में समाप्त होने वाले होते हैं जबकि गैर-पारंपरिक स्रोत प्रकृति में गैर-समाप्ति योग्य होते हैं।


ऊर्जा के पारंपरिक स्रोत जैसे कोयला, प्राकृतिक गैस और जीवाश्म ईंधन प्रकृति में गैर-नवीकरणीय हैं जबकि ऊर्जा के अधिकांश गैर-पारंपरिक स्रोत प्रकृति में नवीकरणीय हैं।


भारत के पास पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस जैसे ऊर्जा के पारंपरिक स्रोतों का पर्याप्त भंडार नहीं है, जबकि भारत सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा जैसे ऊर्जा के गैर-पारंपरिक स्रोतों की प्रचुरता से संपन्न है।


ऊर्जा के पारंपरिक स्रोत प्रकृति में टिकाऊ( धारणीय) नहीं होते हैं इसलिए ऊर्जा का भविष्य पारंपरिक स्रोतों के साथ निहित नहीं है जबकि ऊर्जा का भविष्य गैर-पारंपरिक स्रोतों के साथ निहित है क्योंकि इसका उपयोग प्रकृति में टिकाऊ( धारणीय) है।


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1 Comments:

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Unknown
admin
28 March 2023 at 16:30 ×

Vhumandaliye usmikarn

Congrats bro Unknown you got PERTAMAX...! hehehehe...
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