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भारत में बहुत संख्या में जीव और पादप प्रजातियाँ संकटग्रस्त हैं- उदाहरण सहित कारण दीजिए।

  प्रश्न।

भारत में बहुत संख्या में जीव और पादप प्रजातियाँ संकटग्रस्त हैं- उदाहरण सहित कारण दीजिए। 

( अध्याय - 5  प्राकृतिक वनस्पति और वन्य प्राणी , कक्षा  9 NCERT समकालीन भारत-1 )

उत्तर।

भारत, पौधों और जानवरों की प्रजातियों में बहुत समृद्ध है। पारिस्थितिक तंत्र में प्रत्येक प्रजाति की भूमिका होती है, इसलिए पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता और मानव अस्तित्व के लिए प्रत्येक प्रजाति का संरक्षण बहुत आवश्यक है। अनुमान के अनुसार, भारत में लगभग 1300 पौधों की प्रजातियाँ लुप्तप्राय हैं और 20 प्रजातियाँ विलुप्त हैं। भारत में रेड पांडा और कश्मीर स्टैग जैसे कई जानवर लुप्तप्राय हैं और भारतीय चीता जैसे कुछ जानवर विलुप्त हो गए हैं।


भारत में बहुत संख्या में जीव और पादप प्रजातियाँ संकटग्रस्त होने के निम्नलिखित कारण हैं:


मुख्य खतरा वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए लालची शिकारियों द्वारा शिकार करना है। शिकारी जानवरों की त्वचा, दांत आदि के लिए बाघ, शेर, हाथी और एक सींग वाले गैंडे को मारते हैं और उनको विदेशों में तस्करी करते है। 


प्रदूषण दूसरा मुख्य कारण है। रासायनिक और औद्योगिक कचरे से प्राकृतिक आवासों में एसिड जमा होकर पौधों और जानवरों की जनसंख्या में कमी लाते हैं।


विदेशी प्रजातियों को देश के पारिस्थिकी तंत्र में लाने से जैव विविधता में कमी आती हैं क्योकि विदेशी प्रजातियों के जीव की जनसँख्या को रोकने का कोइ प्राकृतिक शिकारी नहीं होते हैं। 


भूमि को खेती और आवास के अंतर्गत लाने के लिए वनों की अंधाधुंध कटाई।


सड़कों और रेलवे जैसे परिवहन नेटवर्क बिछाने के कारण पर्यावास का विखंडन जानवरों के प्राकृतिक प्रवासन को बाधित करता है।


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