खण्ड- I (भूगोल का सिद्धान्त )
भाग ‘‘क’’ : भौतिक भूगोल;
भू-आकृति विज्ञान:
भू पटल का उद्गम तथा विकास भू-संचलन तथा प्लेट विवर्तनिकी,
ज्वालामुखी क्रिया ;
अपरदन चक्र- डेविस तथा पेंक;
नदीय, हिमनदीय शुष्क तथा कास्र्ट भू-आकृतियाँ;
पुर्नयवनित तथा बहुचक्रीय भू-आकृतियाँ।
जलवायु विज्ञान:
वायु मंडल, इसकी संरचना तथा संयोजन;
वायु राशियां, वाताग्र ;
चक्रवात तथा सम्बद्ध परिघटनाएँ;
जलवायु वर्गीकरण, कोपेन तथा थान्र्थवेट;
भूतलजल, जलचक्र तथा जल वैज्ञानिक चक्र।
मृदायें तथा वनस्पति:
मृदा उत्पत्ति वर्गीकरण तथा वितरण;
सवाना तथा मानसुन वन जीवोमों के पारिस्थितिक पहलू।
महासागरीय विज्ञान:
महासागर तल, उच्चावच भारतीय महासागरीय तल का उच्चावच;
लवणता, धाराएँ तथा ज्वार;
समुद्र निक्षेप तथा मूंग चट्टानें।
पारिस्थितिक तंत्र :
पारिस्थिति-तंत्र की संकल्पना;
पारिस्थितिक तंत्र पर मनुष्य का संघात;
विश्व की पारिस्थिति का असंतुलन।
भाग ‘‘ख‘’ (मानव तथा आर्थिक भूगोल)
भौगोलिक चिन्तन का विकास:
यूरोपीय तथा ब्रिटिश भूगोलविदों का योगदान;
नियतिवाद तथा सम्भववाद;
भूगोल में द्वैतवाद मात्रात्मक तथा व्यवहारात्मक क्रांतियाँ।
मानव भूगोल:
मानव तथा मानव प्रजातियों का आविर्भाव;
मानव का सांस्कृतिक विकास,;
विश्व के प्रमुख सांस्कृतिक परिमंडल;
अंतर्राष्ट्रीय प्रव्रजन, अतीत और वर्तमान;
विश्व की जनसंख्या का वितरण तथा वृद्धि;
जन-सांख्यिकीय संक्रमण तथा विश्व जनसंख्या की समस्याएँ।
बस्ती भूगोल:
ग्रामीण तथा नगरीय बस्तियों की संकल्पना,
नगरीकरण का उद्भव- ग्रामीण बस्ती के प्रतिरूप;
नगरीय वर्गीकरण;
नगरीय प्रभाव के क्षेत्र तथा ग्रामीण नगरीय सीमान्त;
नगरों की आन्तरिक संरचना, विश्व में नगरीय वृद्धि की समस्याएँ।
राजनीतिक भूगोल:
राष्ट्र और राज्य की संकल्पनाएँ ;
सीमान्त, सीमाएँ तथा वफर क्षेत्र;
केन्द्र स्थल तथा उपान्त स्थल की संकल्पना;
संघवाद।
आर्थिक भूगोल:
विश्व का आर्थिक विकास- मापन तथा समस्याएँ, संसाधन की संकल्पना, विश्व संसाधन उनका वितरण तथा विश्व समस्याएँ, विश्व ऊर्जा संकट, अभिवृद्धि की सीमाएँ, विश्व कृषि- प्रारूप विज्ञान तथा विश्व के कृषि क्षेत्र, कृषि अवस्थिति का सिद्धांत, विश्व उद्योग-उद्योगों की अवस्थिति का सिद्वान्त, विश्व औद्योगिक नमूने तथा समस्याएँ, विश्व व्यापार सिद्धान्त तथा विश्व के प्रतिरूप।
खण्ड- II; भारत और बिहार भूगोल
भाग ‘‘क’’ - भारत का भूगोल;
भौतिक पहलू:
भू वैज्ञानिक इतिहास;
भू-आकृति और अपवाह तंत्र;
भारतीय मानसून का उद्गम और क्रिया विधि;
मुद्रा और वनस्पति।
मानवीय पहलू:
आदिवासी क्षेत्र तथा उनकी समस्याएँ;
जनंसख्या वितरण, संघनता और वृद्धि;
जनंसख्या की समस्याएँ तथा नीतियाँ।
संसाधन:
भूमि खनिज, जल जीवीय और समुद्री संसाधनों का संरक्षण और उपयोग।
कृषि:
सिंचाई, फसलों की गहनता, फसलों का संयोजन;
हरित क्रांति ;
भूमि उपयोग सम्बन्धी नीति;
ग्रामीण अर्थ व्यवस्था-पशुपालन;
सामाजिक वानिकी और घरेलू उद्योग।
उद्योग:
औद्योगिक विकास का इतिहास;
स्थानीकरण कारक, खनिज आधारित, कृषि आधारित तथा वन आधारित उद्योगों का अध्ययन;
औद्योगिक संकुल और औद्योगिक क्षेत्रीयकरण।
परिवहन और व्यापार;
सड़कों, रेलमार्गां तथा जलमार्गों की व्यवस्था का अध्ययन ;
अन्तः तथा अंतरक्षेत्रीय व्यापार तथा गाँव के बाजार केन्द्रों की भूमिका।
बस्तियाँ;
ग्रामीण बस्तियों का प्रतिरूप;
भारत में नगरीय विकास तथा उनकी समस्याएँ;
भारतीय नगरों की आंतरिक संरचना;
नगर आयोजन, गन्दी बस्तियाँ तथा नगरीय आवास;
राष्ट्रीय नगरीकरण नीति।
क्षेत्रीय विकास तथा आयोजन:
भारत की पंचवर्षीय योजना, बहुस्तरीय आयोजन;
राज्य जिला तथा प्रखंड स्तरीय आयोजन ;
भारत में विकास के संबंध में क्षेत्रीय असमानताएँ।
राजनैतिक पहलू :
भारत की राजनैतिक समस्याएँ;
राज्य पुनर्गठन;
भारत की अन्तर्राष्ट्रीय सीमा तथा सम्बद्ध मामले।
भारत तथा हिन्द महासागर क्षेत्र की भू-राजनीति।
खंड - "ख " बिहार के भूगोल
बिहार के प्राकृतिक विभाग, मिट्टियाँ, वन, जलवायु, कृषि का प्रतिरूप;
सूखा और बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों की समस्याएँ और समाधान;
प्रमुख खनिज संसाधन- लोहा, ताम्बा, बाक्साइट, अबरख और कोयला;
प्रमुख उद्योग- लोहा-इस्पात, एल्युमुनियम, सीमेन्ट, चीनी;
प्रमुख औद्योगिक प्रदेश;
बिहार की जनंसख्या की समस्या, जन-जातियों की समस्याएँ और उनका समाधान ;
बिहार में नगरीकरण का प्रतिरूप।
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