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कारण बताइए, भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर जाने पर आपतन (सूर्यातप) की मात्रा क्यों घटती जाती है।

 प्रश्न।

कारण बताइए, भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर जाने पर आपतन (सूर्यातप) की मात्रा क्यों घटती जाती है।

( अध्याय - 4 वायु , कक्षा  7 NCERT  हमारा पर्यावरण (भूगोल) )

उत्तर। 

आपतन ( सूर्यातप ) सूर्य से आने वाली सौर विकिरण है जो पृथ्वी द्वारा ग्रहण की जाती है। सूर्यातप एक प्रमुख कारक है जो पृथ्वी पर तापमान के वितरण को प्रभावित करता है।

किसी भी क्षेत्र का सूर्यातप सीधे सूर्य के प्रकाश की अवधि और सूर्य की किरणों के आपतन कोण पर निर्भर करता है।

भूमध्यरेखीय क्षेत्र को अधिकतम सूर्यातप प्राप्त होता है क्योंकि सूर्य की किरणें वर्ष के अधिकतम दिनों के लिए सिर के ऊपर होती हैं (लगभग 90 डिग्री का आपतन कोण बनाती हैं) और लगभग समान दिन और समान रातें होती हैं जबकि ध्रुवीय क्षेत्रों को पृथ्वी पर सबसे कम आपतन ( सूर्यातप ) प्राप्त होता है क्योंकि वहाँ छह महीने दिन और छह महीने की होते हैं और सूर्य की किरणें हमेशा बहुत तिरछी होती हैं।  तिरक्षी सूर्य किरणे होने से वे लंबी दूरी तय करती है जिससे अधिक गर्मी प्रदान नहीं करती हैं। अतः यह सत्य है भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर जाने पर आपतन (सूर्यातप) की मात्रा क्यों घटती जाती है क्योंकि-

  • पृथ्वी का आकार काफी हद तक गोलाकार है।
  • पृथ्वी अपनी धुरी पर एक झुके हुए कोण (अक्ष पर 23.5 डिग्री) पर घूमती है।


पृथ्वी के गोलाकार आकार और झुके हुए घूर्णन के कारण, जब हम भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर बढ़ते हैं तो सूर्य की किरणें अधिक तिरछी होती जाती हैं और आपतन (सूर्यातप) कम होता जाता है। ऐसी कारण से भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर जाने पर आपतन (सूर्यातप) की मात्रा क्यों घटती जाती है। 


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