ऊष्मा बजट के बारे में:
पृथ्वी के उष्मा बजट को पृथ्वी का ऊष्मा संतुलन भी कहा जाता है। ऊष्मा बजट सूर्यातप (लघु-तरंग सौर विकिरण) और स्थलीय विकिरण (दीर्घ-तरंग विकिरण) की विस्तृत गणितीय व्याख्या को संदर्भित करता है।
समय के साथ पृथ्वी न तो ऊष्मा जमा करती है और न ही खोती है, यह अपना तापमान बनाए रखती है। यह तभी हो सकता है जब सूर्यातप (लघु-तरंग सौर विकिरण) की मात्रा दीर्घ-तरंग पृथ्वी विकिरण (स्थलीय विकिरण) के बराबर हो।
एक लंबे समय में कुल औसत सूर्यातप और स्थलीय विकिरण में अंतर शून्य होता है।
पृथ्वी के ऊष्मा बजट का विवरण निम्नलिखित हैं:
हम मानते है कि पृथ्वी वायुमंडल के शीर्ष पर (पृथ्वी की सतह से लगभग 1000 किमी) 100 इकाई सूर्यातप मिलता है।
वायुमंडल से गुजरते समय सूर्यातप की कुछ इकाइयाँ परावर्तित, बिखरी और अवशोषित हो जाती हैं; सूर्यातप का शेष भाग पृथ्वी की सतह तक पहुँच जाता है।
लगभग 35 इकाई सूर्यातप पृथ्वी की सतह पर पहुँचने से पहले वापस अंतरिक्ष में परावर्तित हो जाता है।
सूर्यातप की शेष 65 इकाई या तो वायुमंडल या पृथ्वी की सतह द्वारा अवशोषित हो जाती है। लगभग 14 इकाई सूर्यातप वायुमंडल द्वारा अवशोषित हो जाता है और 51 इकाई सूर्यातप पृथ्वी की सतह पर अवशोषित हो जाता है।
पृथ्वी दीर्घ-तरंग स्थलीय विकिरण के रूप में 51 यूनिट वापस विकिरण करती है। दीर्घ-तरंग स्थलीय विकिरण की 51 इकाइयों में से 17 इकाइयाँ सीधे अंतरिक्ष में विकिरित होती हैं और शेष 34 इकाइयाँ वायुमंडल द्वारा अवशोषित कर ली जाती हैं। 34 इकाइयों में से 6 इकाइयाँ सीधे वायुमंडल द्वारा, 9 इकाइयाँ संवहन और अशांति के माध्यम से, और 19 इकाइयाँ संघनन की गुप्त ऊष्मा के माध्यम से अवशोषित होती हैं।
कुल 48 इकाइयाँ (14 इकाइयाँ सूर्यातप से और 34 इकाइयाँ स्थलीय विकिरण से) वायुमंडल द्वारा अवशोषित की जाती हैं।
अतः पृथ्वी से लौटने वाला कुल विकिरण लगभग 65 इकाई है जो पृथ्वी पर प्राप्त हुआ था, इनमे से 17 इकाई पृथ्वी से सीधे अंतरिक्ष में विकिरित होती है और वायुमंडल से 48 इकाई विकरित होती है
इसे ऊष्मा संतुलन या पृथ्वी का ऊष्मा बजट कहा जाता है। यही कारण है कि अत्यधिक ऊष्मा के स्थानान्तरण के बावजूद पृथ्वी न तो गर्म होती है और न ही ठंडी होती है।
निम्नलिखित आरेख पृथ्वी पर उष्मा बजट की व्याख्या करता है:
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