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गीता का "अनासक्त योग" क्या है? सिविल सेवकों के लिए क्या संदेश देता है? व्याख्या कीजिए। | UPPSC General Studies 4 Mains ETHICS Solutions 2020

  प्रश्न ।

गीता का "अनासक्त योग" क्या है? सिविल सेवकों के लिए क्या संदेश देता है? व्याख्या कीजिए।  (UPPSC 2020)

उत्तर।

अनासक्त एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है लगाव ना रखना ( अधीन ना होना )। "अनासक्ता योग" की अवधारणा भगवद गीता में पाई जाती है, जो परिणाम के बारे में चिंता छोड़ हमें अपने कर्तव्य का पालन करने पर जोर देती है।

सिविल सेवकों के संदर्भ में, "अनासक्ता योगा" की अवधारणा सिविल सेवकों को अपने व्यक्तिगत लाभों से जुड़े बिना अपने कर्तव्य को निभाने के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश प्रदान करती है।

सिविल सेवकों का कर्तब्य होता है समाज में न्याय, निष्पक्षता और समानता स्थापना करना। अनासक्ता योग का संदेश सिविल सेवकों को अपने कार्यों के परिणाम या परिणाम से जुड़े बिना अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।

अनासक्ता योग, यह भी जोर देता है कि सिविल सेवकों को बाहरी दबाव से आये बिना अपना कर्तव्य निभाना चाहिए, और स्थिति की परवाह किए बिना अपने कर्तव्यों के लिए प्रतिबद्ध रहना चाहिए।

अनासक योग का संदेश, लोक सेवको को जवाबदेही के परिणाम से जुड़े बिना जवाबदेही के अपने कर्तव्य को करने को प्रेरित करता है।

 

अंत में, हम कह सकते हैं कि "अनासक्ता योग" की अवधारणा कर्तव्यों की भूमिका और श्रम के फल की आशा ना रखने के महत्व पर जोर देती है। यह सिविल सेवकों को न्याय, निष्पक्षता और समानता के मूल्य के लिए प्रतिबद्ध रहने में मदद करता है। 


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