प्रश्न ।
क्या आप स्वीकारते हैं कि जन संस्थाएं जनता के अधिकारों के संरक्षण में सफल हैं ? (UPPSC 2022)
उत्तर।
जन संस्थान वे हैं जो जनता की सेवा करते हैं या जनता के जीवन पर प्रभाव डालते हैं; सरकार और अदालत सार्वजनिक संस्थानों के उदाहरण हैं।
जन संस्थाए जैसे सरकार और अदालत को जनता के अधिकारों की रक्षा और संरक्षण की नैतिक जिम्मेदारी है। लोगों के अधिकारों के संरक्षण में सार्वजनिक संस्थानों की सफलता कई कारकों पर निर्भर करती है, कानूनी प्रणाली की प्रभावशीलता, भ्रष्टाचार का स्तर और राजनीतिक प्रक्रिया में लोगों की भागीदारी। हालांकि ये जन संस्थाए अधिकतर लोगों के हितों के लिए लड़ रही हैं और कई मामलों में उन्होंने सफलता भी हासिल की हैं, लेकिन उनके कुछ मामलों में असफल रहे हैं।
कुछ मामलों में जैसे लोगों के मौलिक अधिकार और कमजोर वर्ग के अधिकार के मामले में जन संस्थाए द्वारा अच्छा काम किया गया है। आज भारत का कोई भी नागरिक चाहे उसकी परिपेक्ष्य कुछ भी हो भारत के राष्टपति या प्रधान मंत्री बन सकता है। आज लगभग सभी गरीबो के पास बैंक खाता है। सभी लोगो के पास बुनियादी सुबिधाए जैसे विजली , पानी , सड़क , आदि हैं।
हालाँकि, अपने नागरिकों के कुछ मौलिक अधिकारों जैसे समानता का अधिकार, बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, और जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन अक्सर देखने को मिलता है। उदाहरण के लिए, महिलाओ और दलितों जैसे समाज के कमजोर वर्ग के समुदायों के खिलाफ भेदभाव अक्सर देखने को मिलता है।
स्वस्थ पर्यावरण और प्रदूषित रहित वातावरण मिलना भी जनता का अधिकार होता है, लेकिन ये अधिकार अधिकतर जनता को प्राप्त नहीं है। हलाकि जन संस्थाए जैसे वन विभाग और प्रदुषण नियंत्रक संस्थाए ने पर्यावरण के संरक्षण पर बहुत काम कर रहे है।
जन संस्थाए में उपस्थित भ्रष्टाचार जनता अधिकार को संरक्षित करने बाधा उत्पन्न करता है।
उपरोक्त से हम कह सकते है कि, पहले से ज्यादा अधिकार जनता को प्राप्त हुए है लेकिन अभी भी बहुत सारे अधिकार का संरक्षण जैसे स्वच्छ पर्यावरण का संरक्षण में जन संस्थाएं असफल रहे है।
You may like also:
ConversionConversion EmoticonEmoticon