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सिविल सेवा के संदर्भ में "अंतरात्मा" की प्रासंगिकता का मूल्यांकन कीजिये। | UPPSC General Studies 4 Mains ETHICS Solutions 2018

प्रश्न ।

सिविल सेवा के संदर्भ में  "अंतरात्मा" की प्रासंगिकता का मूल्यांकन कीजिये। ( UPPSC, UP PCS Mains General Studies-4/Ethics 2018)

उत्तर।

अंतरात्मा हमारी आंतरिक आवाज या आंतरिक भावना होती है जो सही या गलत को परखने में व्यक्तिगत निर्णय देती है।  अंतरात्मा की आवाज हमारी व्यक्तिगत व्यवहार का मार्गदर्शन करता है। 

सिविल सेवकों के संदर्भ में, अंतरात्मा सिविल सेवकों को उनके व्यक्तिगत मूल्यों और उनके द्वारा सेवा किए जाने वाले संगठन के नैतिक सिद्धांतों के अनुरूप निर्णय लेने में मदद करता है।


सिविल सेवकों को अक्सर उनके काम में नैतिक दुविधाओं का सामना करना पड़ता है, जैसे कि हितों का टकराव, भ्रष्ट गतिविधियों में संलग्न होने का दबाव, व्यक्तिगत हित, नियम बनाम परंपराओं, बहुमत बनाम अल्पसंख्यक, और भ्रष्टाचार बनाम अखंडता। अंतरात्मा सिविल सेवकों को नैतिक दुविधाओं में भी उनके नैतिक मूल्यों और विवेक के आधार पर निर्णय लेने में मदद करता है।


हालांकि, अंतरात्मा व्यक्तिगत मान्यताओं या पूर्वाग्रहों पर कार्य करने के औचित्य के लिए नहीं किया जाना चाहिए जो उनके संगठन या कानून, या नैतिक शासन के सिद्धांतों के अनुरूप नहीं हैं। कहने का तात्पर्य है कि लोक सेवक अपने किसी कार्य को यह कहकर सही नहीं ठहरा सकते कि यह मेरे अंतरात्मा की आवाज है। उदाहरण के लिए , लोक सेवक किसी जनता को पीट कर यह नहीं बोल सकता कि मेरी अंतरात्मा की आवाज उसको पीटने को बोल रहा था। 


अंत में, हम कह सकते हैं, दैनिक निर्णय लेने में सिविल सेवकों द्वारा सामना की जाने वाली नैतिक दुविधाओं को हल करने के लिए अंतरात्मा बहुत सहायक है। हालांकि, लोक सेवकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अंतरात्मा समाज के नैतिक मानकों पर आधारित होना चाहिए और उनके कार्यों को समग्र समाज के सर्वोत्तम हित में होना चाहिए।


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