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भारत में कृषि विपणन सुधारों का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए। क्या वे समुचित है ? । UPPSC General Studies-III Mains Solutions 2019

  प्रश्न ।

भारत में कृषि विपणन सुधारों का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए। क्या वे समुचित है ?

( UPPSC, UP PCS Mains General Studies-III/GS-3 2019)

उत्तर।

हरित क्रांति की सफलता के बाद, भारत ने खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण प्रगति की। हालांकि, किसान की आय बहुत अधिक नहीं बढ़ी, खासकर छोटे और सीमांत किसानों को।

अनुमान के अनुसार, किसानों को कटाई के बाद अधिक नुकसान झेलना पड़ता है और साथ ही बिचौलिया की भागीदारी के कारण, वे विपणन पक्ष पर भी नुकसान का सामना करते हैं, क्योकि उनको बाजार से अच्छे मूल्य नहीं मिलते है। 

उदाहरण के निए , वर्ष 2023 के जून महीना में हरियाणा से ऐसी खबरे आ रही थी कि बिचौलियों लोग शिमला मिर्च को किसान से 2 रूपए किलो खरीद रहे थे , लेकिन बाजार में खुरदरा मूल्य 40 रूपए किलो था। 


ऐसे नुकसान किसानो को हर साल , लगभग सभी जगह देखने को मिलता है। इसलिए, कृषि विपणन में सुधार की बहुत आवश्यकता है।


भारत में कृषि विपणन सुधारों के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं;


वैकल्पिक विपणन चैनल:

कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग, डायरेक्ट मार्केटिंग और इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग जैसे अधिक कुशल और वैकल्पिक मार्केट चैनल बनाने की आवश्यकता है।


बाजार के बिचौलियों को हटाने की आवश्यकता है:

बिचौलियों द्वारा लगाए गए कमीशन शुल्क को खत्म करने के लिए सुधार करने की आवश्यकता है, जिससे किसानों को अपनी उपज सीधे खरीदारों को बेचने की अनुमति मिलती है।


कृषि बुनियादी ढांचे में निजी निवेश को बढ़ावा देना:

निजी निवेश का मुख्य उद्देश्य भंडारण क्षमता में सुधार करके कटाई के बाद के नुकसान को कम करना है। सुधारों का उद्देश्य कोल्ड स्टोरेज, वेयरहाउसिंग और कृषि-प्रसंस्करण उद्योगों जैसे कृषि बुनियादी ढांचे में निजी निवेश को बढ़ावा देना है।


कृषि उपज बेचने में लचीलापन प्रदान करना:

सुधारों का उद्देश्य बेहतर कीमतों के लिए कृषि विपणन में अधिक से अधिक निजी भागीदारी की अनुमति देना और कृषि क्षेत्र में अधिक दक्षता प्राप्त करना है।


किसानों की आय को बढ़ाना:

बाजार सुधार का समग्र उद्देश्य किसानों की आय को बढ़ाना है।

 

सरकार ने कृषि सुधारों के लिए निम्नलिखित पहल की है-

  • आवश्यक वस्तु अधिनियम (ECA), 1955।
  • एपीएमसी अधिनियम-कृषि उपज बाजार समिति) अधिनियम
  • मॉडल कृषि उत्पादन और पशुधन विपणन (पदोन्नति और सुविधा) अधिनियम 2017
  • इलेक्ट्रॉनिक नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट (ENAM), 2016
  • मॉडल अनुबंध खेती अधिनियम, 2018
  • मॉडल कृषि भूमि पट्टे पर अधिनियम 2016

 

आवश्यक वस्तु अधिनियम (ECA):

एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट (ECA), 1955 सरकार को उत्पादन, आपूर्ति और वितरण को विनियमित करने का अधिकार देता है। इस अधिनियम के तहत, वस्तुओं को उचित कीमतों पर उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराने के लिए "आवश्यक घोषित किया जा सकता है। यह मूल्य वृद्धि के खिलाफ उपभोक्ता के अधिकार की रक्षा करता है, हालांकि, यह किसानों के हित के खिलाफ कार्य करता है।


APMC (कृषि उपज बाजार समिति) अधिनियम:

एपीएमसी अधिनियम राज्य सरकार को कृषि बाजार के कामकाज को विनियमित करने और सुविधाजनक बनाने का अधिकार देता है, जिसे आमतौर पर मंडियों के रूप में जाना जाता है। इसका उद्देश्य किसानों और खरीदारों के बीच निष्पक्ष और पारदर्शी लेनदेन सुनिश्चित करना है।


इलेक्ट्रॉनिक नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट (ENAM) 2016 में भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया एक ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म है। इसका उद्देश्य मौजूदा कृषि उपज बाजार समितियों (बाजार मंडी) को जोड़कर कृषि वस्तुओं के लिए एकीकृत राष्ट्रीय बाजार बनाना है।

 

हालांकि, कृषि एक राज्य विषय है, जो जमीन पर इन सुधारों के समान कार्यान्वयन में बाधा डालता है। खराब कार्यान्वयन और खंडित कृषि बाजार भारत में कृषि विपणन सुधारों में बड़ी बाधाएं और चुनौतियां हैं। कृषि विपणन सुधार मुख्य रूप से अंतरराज्यीय व्यापार पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जबकि इंट्रा-स्टेट बाजार काफी हद तक विनियमित रहते हैं।


 

अंत में, भारत में कृषि विपणन सुधारों ने बाजार पहुंच में सुधार, प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने, बिचौलियों को कम करने और निजी निवेश को आकर्षित करने में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। हालांकि, इन नीतियों के सही से कार्यान्वयन करने में और छोटे और सीमांत किसानों के हितों की रक्षा में चुनौतियां बनी हुई हैं।

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