प्रश्न।
दक्षिण-पश्चिम मानसून भोजपुर क्षेत्र में "पुरवैया ( पूर्वी )" क्यों कहलाता है? इस दिशापरक मौसमी पवन प्रणाली ने क्षेत्र के सांस्कृतिक लोकाचार को कैसे प्रभावित किया है?
(UPSC 2023 General Studies Paper 1 (Main) Exam, Answer in 150 words)
उत्तर।
मानसून पवन गर्मि मौसम के दौरान दक्षिण पश्चिम दिशा से हिंद महासागर से भारतीय उपमहाद्वीप में प्रवेश करती हैं, और अपने साथ नमी से भरी पवन लाती हैं। ये मानसून पवन, भारत में दो शाखाओं में प्रवेश करती है - अरेबियन शाखा और बंगाल खाड़ी शाखा।
बिहार के भोजपुर क्षेत्र में जो दक्षिण पश्चिम मानसून आती है वो बंगाल की खाड़ी से प्रवेश करती है। चुकि बंगाल की खाड़ी की मानसून शाखा पूर्वी दिशा से बिहार के भोजपुर क्षेत्र में प्रवेश करती है, यही कारण से "पुरवैया ( पूर्वी )" कहा जाता है।
भोजपुर क्षेत्र के सांस्कृतिक लोकाचार पर "पुरवैया ( पूर्वी )" के प्रभाव:
"पुरवैया ( पूर्वी )" के सांस्कृतिक लोकाचार निम्नलिखित हैं:
सांस्कृतिक समारोह (त्योहार और अनुष्ठान):
भोजपुर क्षेत्र के कई स्थानीय त्योहार जैसे कि तीज ( हरतालिका व्रत) , सावनी व्रत, और "कावर यात्रा" , ये सब "पुरवैया ( पूर्वी )" पवन से संबंधित हैं। ये समारोह प्रकृति और संस्कृति के बीच एक गहरे संबंध को दर्शाते हैं।
कृषि प्रथा:
भोजपुर क्षेत्र में किसान, पुरविया हवाओं के आगमन और तीव्रता के साथ संरेखित करते हैं। "पुरवैया ( पूर्वी )" पवन धान की फसलों की बुवाई को सुनिश्चित करती हैं।
पाक ( खान पान) परंपराएं:
मौसमी खाद्य पदार्थ और व्यंजनों को अक्सर मानसून से जोड़ा जाता है, जो क्षेत्र की कृषि प्रथाओं को दर्शाता है। "पकौड़ी" और "घुघनी" इस क्षेत्र में मानसून के मौसम के दौरान प्रसिद्ध पकवान हैं।
आवास:
"पुरवैया ( पूर्वी )" पवन बाढ़ लाने के लिए प्रसिद्ध हैं, इसलिए इन क्षेत्रों में लोग पारंपरिक रूप से कृषि क्षेत्र के पास एक अस्थायी आश्रय में रहना पसंद करते हैं।
सारांश में, दक्षिण-पश्चिम मानसून भोजपुर क्षेत्र (बिहार ) में पूर्व दिशा से प्रवेश करती है , इसी कारण से ऐसे "पुरवैया ( पूर्वी )" कहा जाता है। यह पवन भोजपुर क्षेत्र विभिन्न पहलुओं, सांस्कृतिक प्रथाओं को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
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