आंग्ल मराठा युद्ध (1775-1818):
एंग्लो-मराठा युद्ध 18वीं सदी के अंत और 19वीं सदी की शुरुआत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और भारत में मराठा साम्राज्य के बीच लड़े गए तीन संघर्षों की एक श्रृंखला थी।
प्रथम आंग्ल-मराठा युद्ध:
प्रथम आंग्ल-मराठा युद्ध के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य निम्नलिखित हैं:
वर्ष: 1775-82
भारत के गवर्नर जनरल: वॉरेन हेस्टिंग्स
संबद्ध व्यक्ति: वॉरेन हेस्टिंग्स, माधवराव द्वितीय, और महादजी शिंदे।
परिणाम: 1781 में सीकरी में शिंदे को अंग्रेजों ने हराया।
संधियाँ:
- युद्ध शुरू होने से पहले सूरत संधि (1775) पर हस्ताक्षर किये गये थे।
- युद्ध की समाप्ति के बाद सालबाई की संधि (1782) पर हस्ताक्षर किये गये।
द्वितीय आंग्ल-मराठा युद्ध:
द्वितीय आंग्ल-मराठा युद्ध के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य निम्नलिखित हैं:
वर्ष: 1803-1805
भारत के गवर्नर जनरल: लॉर्ड वेलेस्ली
संबद्ध व्यक्ति: दौलत सिंधिया और लॉर्ड मॉर्निंगटन
परिणाम: मराठा सेना हार गई।
संधियाँ:
द्वितीय आंग्ल-मराठा युद्ध के बाद निम्नलिखित प्रमुख संधियाँ थीं:
- भोंसले और अंग्रेजों के बीच देवगाओ की संधि (1803) पर हस्ताक्षर किये गये।
- रुरजी अन्हागांव संधि (1803) पर सिंधिया और अंग्रेजों के बीच हस्ताक्षर किए गए।
- होल्कर्स और अंग्रेजों के बीच राजघाट की संधि (1805) पर हस्ताक्षर किये गये।
तीसरा आंग्ल-मराठा युद्ध:
तृतीय आंग्ल-मराठा युद्ध के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य निम्नलिखित हैं:
वर्ष: 1817-1818
भारत के गवर्नर जनरल: लॉर्ड हेस्टिंग्स
संबद्ध व्यक्ति: बाजी राव द्वितीय, बापू गोखले, और फ्रांसिस रॉडन-हेस्टिंग्स।
परिणाम: महिदपुर में होलकर की हार हुई जबकि सीताबर्डी में भोंसले की हार हुई।
संधियाँ:
ब्रिटिश और विभिन्न मराठा सरदारों के बीच तीन महत्वपूर्ण संधियों पर हस्ताक्षर किये गये:
- पूना की संधि (1817): अंग्रेज़ों और पेशवा के बीच
- मंडेश्वर की संधि (1818): अंग्रेजों और होलकर के बीच (इंदौर)
- अंग्रेजों और सिंधिया के बीच ग्वालियर संधि (1818) पर हस्ताक्षर किये गये
- अंग्रेजों और भोंसले के बीच देवगाओ की संधि (1803) पर हस्ताक्षर किये गये।
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