अकबर (1556-1605) पहला मुगल शासक था जिसने भूमि की गुणवत्ता के आधार पर कृषि भूमि को चार श्रेणियों में वर्गीकृत किया था। कृषि भूमि के चार वर्गीकरण निम्नलिखित हैं:
- पोलज
- परौती या पराती
- चाचर
- बंजर
पोलाज:
पोलज वह भूमि थी जिस हर वर्ष खेती की जाती थी, किसी भी वर्ष इसे परती नहीं छोड़ा जाता था। यह सबसे उपजाऊ एवं उत्पादक भूमि मानी जाती थी।
परौती या पराती:
परौती वह भूमि थी जिसे उर्वरता प्राप्त करने के लिए आमतौर पर एक से दो साल की छोटी अवधि के लिए परती छोड़ दिया जाता था।
चाचर:
चाचर वह भूमि थी जो एक लम्बे अवधि के लिए, आमतौर पर तीन से चार साल तक, परती छोड़ दिया जाता था। भूमि को परती छोड़ने से, भूमि को पोषक तत्वों को पुनः प्राप्त करने का समय मिल जाता था।
बंजर:
बंजर वह भूमि थी जो खेती के लिए उपयुक्त नहीं थी। इसका उपयोग चराई के लिए किया जाता था।
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