किसे "दक्षिण पथपति" अर्थात दक्षिणी क्षेत्र का स्वामी कहा गया है?
क) अग्निमित्र
ख) रुद्रदामन
ग) सातकर्णी
घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर। ग) सातकर्णी
सातकर्णी (शठकर्णी) को "दक्षिण पथपति" के रूप में वर्णित किया गया था जिसका अर्थ है दक्षिणी क्षेत्र का भगवान।
सातवाहन राजवंश (200 ईसा पूर्व से 300 ईस्वी) के बारे में:
सिमुक ने सातवाहन वंश की स्थापना की, जिसे मत्स्य पुराण में "आंध्र" के नाम से जाना जाता है।
सतकर्णी-प्रथम ने पश्चिमी मालवा, विदर्भ (बरार) और दक्षिण के कुछ हिस्सों पर विजय प्राप्त करने के बाद दक्षिणापथ के भगवान की उपाधि धारण की। इसके लिए उन्हें दक्षिण पथपति (दक्षिणी क्षेत्र का स्वामी) कहा जाता है।
सातवाहन दक्षिणापथ के स्वामी कहलाते थे। दक्षिणापथ शब्द का शाब्दिक अर्थ है 'दक्षिण की ओर जाने वाला मार्ग'।
गौतमीपुत्र सातकर्णी (सतकर्णी द्वितीय) सातवाहन वंश का सबसे प्रसिद्ध शासक था। उन्होंने शक शासकों नहपान, पहलव और यवनों को हराया।
सातवाहन राजवंश की राजधानी प्रारंभ में प्रतिष्ठान (महाराष्ट्र में आधुनिक पैठण) में थी, जो गोदावरी नदी के तट पर स्थित थी। बाद में उनकी राजधानी अमरावती और जुन्नार में स्थानांतरित कर दी गई।
अग्निमित्र के बारे में:
अग्निमित्र पुष्यमित्र शुंग (शुंग वंश के संस्थापक) के पुत्र थे।
अग्निमित्र कालिदास के काव्य मालविकाग्निमित्रम् के नायक थे।
उसने महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र पर विजय प्राप्त की।
शुंग राजवंश की प्रारंभिक राजधानी पाटलिपुत्र थी, बाद में इसे विदिशा, मध्य प्रदेश में स्थानांतरित कर दिया गया।
रुद्रदामन (130 ई. से 150 ई.):
रुद्रदामन प्रथम शक वंश का सबसे महान एवं प्रसिद्ध शासक था।
जूनागढ़ शिलालेख (गिरनार, काठियावाड़ गुजरात) दिनांक 150 ई., रुद्रदामन द्वारा किए गए सुदर्शन झील के रखरखाव कार्य के बारे में जानकारी प्रदान करता है, जिसे चंद्रगुप्त मौर्य के वायसराय पुष्पगुप्त ने बनवाया था। सुदर्शन झील का रख-रखाव बिना जबरन मजदूर (बंधुआ मज़दूरी) के प्रयोग के किया गया था।
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