प्रश्न।
शिवालिक के निर्माण के विभिन्न स्पष्टीकरणों के आधार की विवेचना कीजिए।
( UPSC Geography Optional Paper 2 2024, 10 Marks)
शिवालिक हिमालय के बारे में:
शिवालिक का शाब्दिक अर्थ "शिव के लंबे बाल"।
हिमालय की सबसे बाहरी [दक्षिणी] पर्वत श्रेणी को शिवालिक या बाहरी हिमालय के रूप में जाना जाता है।
शिवालिक का फैलाव पाकिस्तान, भारत, नेपाल और भूटान तक है।
औसत चौड़ाई: 10 से 50 किमी
औसत ऊंचाई: 3000 से 4000 फीट (900 से 1100 मीटर)
लगभग लंबाई: 2400 किमी
शिवालिक के निर्माण का समय:
बृहत् हिमालय और लघु हिमालय के निर्माण के बाद शिवालिक श्रेणी का निर्माण हुआ है। इसका निर्माण लगभग 2 से 20 मिलियन साल पहले (तृतीयक अवधि) हुआ था।
शिवालिक के निर्माण के लिए विभिन्न स्पष्टीकरण [सिद्धांत]:
दो सिद्धांत हैं जो शिवालिक के निर्माण की व्याख्या करता है- कोबर का जियोसिंक्लाइन सिद्धांत और प्लेट टेक्टोनिक सिद्धांत
जैसा कि हम जानते हैं कि भारतीय प्लेट के उत्तरी गमन के कारण टेथिस सागर (जियोसिंक्लिन क्षेत्र) पर हिमालय पर्वत श्रृंखलाएं बनी हैं। सबसे अंत में, वृहत हिमालय श्रेणी और लघु हिमालय श्रेणी के गठन के बाद शिवालिक का निर्माण हुआ हैं।
उपरोक्त दो सिद्धांतों की मदद से आइये हम शिवालिक का निर्माण समझते हैं -
निम्नलिखित तीन चरण से हम समझते हैं:
प्रथम चरण:
हिमालय की नदियों ने , वृहत हिमालय और मध्य हिमालय से तलछट [जलोढ़ जमा, चट्टानों, रेत और बोल्डर] को लाया और उन्हें लघु [मध्य] हिमालय श्रेणी के दक्षिणी भाग में जमा करते गए।
द्वितीय चरण:
समय के साथ, इन हिमालय की नदियों के तलछट से अस्थायी झीलों [जियोसिंक्लिन क्षेत्र] का निर्माण हुआ, और नदियों ने लगातार अस्थायी झीलों में अपने तलछट को जमा किया।
तृतीय चरण:
भारतीय प्लेट के उत्तरी गमन [ प्रस्थान ] के कारण, अस्थायी झीलों में जमा तलछट में संपीड़ित बल लगा जो वलिय रूप लेकर शिवालिक का निर्माण किया।
इस तरह से शिवालिक श्रेणी का निर्माण हुआ।
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